बीते कुछ दिनों से सोने के दाम चर्चा का विषय बने हुए हैं. इसका कारण भी है. सोना भारत में एक बार फिर से 58 हजार क्रॉस कर गया है. जिसके मार्च के एंड और अप्रैल के पहले हफ्ते तक 60 हजार के पार पहुंचने के कयास लगाए जा रहे हैं. मार्च के महीने में ये तेजी सिर्फ ग्लोबल बैंकिंग सेक्टर में गिरावट और फाइनेंशियल सेक्टर में मंदी आने की वजह से देखने को मिल रही है. वर्ना बीते 10 सालों का ट्रेंड देखें तो मार्च के महीने में सोने के दाम में गिरावट ही देखने को मिलती है. वहीं सोने के दाम में इजाफा सिर्फ अप्रैल के महीने में देखने को मिलता है. 2014 से 2022 तक अप्रैल के महीने में सोने के दाम में औसतन 2 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।
अब सवाल ये है कि भारत में सोने के दाम में अप्रैल के महीने में इजाफा क्यों होता है? जिसमें पहला प्रमुख ग्लोबल कारण चीन का लूनार न्यू ईयर खत्म होता है. उसके बाद चीन से वहां पर सोने की खरीदारी शुरू हो जताती है. इसके अलावा चार ऐसे घरेलू कारण हैं जिसकी वजह से सोने के दाम में इजाफा देखने को मिलता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर वो कौन से कारण हैं।
शादियों के सीजन से पहले सोने की खरीदारी
मार्च के एंड या फिर अप्रैल के महीने में शादियों के सीजन को देखते हुए सोने के दाम में इजाफा देखने को मिलता है. इस साल अप्रैल के महीने में शादी का कोई दिन नहीं है. मई में शादियों का मौसम शुरू होगा. ऐसे में अप्रैल के महीने में सोने के दाम में इजाफा देखने को मिलेगा. पिछले साल अप्रैल के महीने में कई तारीखों पर शादियों का मुर्हुत था. जिसकी वजह से मार्च के महीने सोने की खरीदारी देखने को मिली थी और दाम में पौने तीन फीसदी का इजाफा देखने को मिला था और अप्रैल के महीने में दाम फ्लैट रहे थे।
अक्षय तृतीया में सोना खरीदना माना जाता है शुभ
देश में अक्षय तृतीया के मौके पर सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है. जिसकी वजह से डिमांड में इजाफा देखने को मिलता है. पिछले साल अक्षय तृतीया के मौके पर 28 टन गोल्ड की बिक्री देखने को मिली थी. जो प्री कोविड के लेवल को पार कर गई थी. आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में 22 टन गोल्ड की बिक्री देखने को मिली थी. वैसे पिछले साल अप्रैल के महीने में सोना फ्लैट था. इसका असर भी देखने को मिला था।
रूरल डिमांड में होता है इजाफा
अप्रैल के महीने में सोने के दाम में इजाफे का प्रमुख ग्रामीण इलाकों की ओर से आने वाली डिमांड भी है. जानकारों के अनुसार अप्रैल से पहले रबि फसल पककर बिक जाती है. जिसकी वजह से किसानों के हाथों में पैसा होता है. जिसे वो गोल्ड में निवेश करना पसंद करते हैं. वहीं नॉर्थ इंडिया के राज्यों में ऐसा ज्यादा देखने को मिलता है. वहीं रबि की फसल कैसी हुई है, इस पर भी काफी डिपेंड करता है. अगर फसल अच्छी होती है तो किसानों की जेब में पैसा ज्यादा होता है तो डिमांड भी वैसी ही देखने को मिलती है।
ऑफर्स और डिस्काउंट
अप्रैल के महीने में गोल्ड की खरीदारी में ज्यादा योगदान रिटेलर्स की ओर से दिए जाने वाले ऑफर्स और डिस्काउंट भी हैं. इस दौरान रिटेलर्स की ओर से मेकिंग चार्ज पर डिस्काउंट या फिर दूसरे तरह के आॅफर्स से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं. जिसकी वजह खरीदारी अच्छी होती है और डिमांड बढ़ने कीमत में इजाफा देखने को मिलता है।
क्या कहते हैं जानकार?
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार अप्रैल के महीने में सोने के दाम में इजाफा देखने को मिलता है. बीते 10 सालों के ट्रेंड को देखें तो सिर्फ दो बार ही ऐसा मौका देखने को मिला है जब सोना सस्ता हुआ है. वर्ना तेजी ही देखने को मिली है. 2014 से 2022 तक अप्रैल के महीने में सोना औसतन 2 फीसदी से ज्यादा सस्ता हुआ है. मार्च और मई में गिरावट देखने को मिलती है. अप्रैल के महीने में सोने के दाम में इजाफा होने के अधिककर कारण घरेलू ही हैं।
मौजूदा समय में सोने के दाम
विदेशों में बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में मजबूत रुख के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोने का भाव 380 रुपये की तेजी के साथ 57,450 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया. पिछले कारोबारी सत्र में सोना 57,070 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुआ था. हालांकि, चांदी की कीमत 90 रुपये की गिरावट के साथ 66,535 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा कि दिल्ली के बाजार में सोने का हाजिर भाव 380 रुपये की तेजी के साथ 57,450 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया।