दुनियाभर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं, कई जगहों पर इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। भारत में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहायता के लिए आईआईएससी, बेंगलुरु और चार आईआईटी ने ”गो कोरोना गो से लेकर ”संपर्क-ओ-मीटर तक कई मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए हैं।
आईआईएससी की एक टीम ने ”गो कोरोना गो एप विकसित किया है, जो कोविड-19 के संदिग्धों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने में मदद कर सकता है।
आईआईएससी के एक संकाय सदस्य तरुण रंभा ने बताया, ”एप ब्लूटूथ और जीपीएस का इस्तेमाल करके कोविड-19 से संक्रमितों या संदिग्धों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने में मदद करेगा। यह दूर के संपर्कों से भी जोखिम की प्रवृत्ति को समझने के लिए अस्थायी नेटवर्क एनालिटिक्स का उपयोग करता है। इसके साथ ही यह ऐप बीमारी के प्रसार का आकलन करने और उन लोगों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिनके वायरस की चपेट में आने की आशंका है। आईआईटी रोपड़ के एक बीटेक छात्र ने ”संपर्क-ओ-मीटर नामक एक मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो मानचित्र के जरिए कोरोना वायरस के अधिकतम संक्रमण की आशंका वाले वाले क्षेत्रों को इंगित कर सकता है।
इस एप को विकसित करने वाले छात्र साहिल वर्मा ने कहा, ”ऐप विभिन्न कारकों पर विचार करने के बाद एक ‘जोखिम स्कोर उत्पन्न करता है और लोगों को एहतियाती उपाय करने के लिए सचेत कर सकता है, जिसमें खुद को पृथकवास में रखना या किसी डॉक्टर से संपर्क करना भी शामिल है। यह एप उपयोगकर्ताओं को कोरोना संपर्क जोखिम रेटिंग का अनुमान लगाने की सुविधा प्रदान करेगा। इसी तरह, आईआईटी बंबई के छात्रों और पूर्व छात्रों की एक टीम ने ”कोरोनटाइन नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है जो कोरोना वायरस के लक्षण वाले या वायरस के संपर्क में आये संदिग्ध लोगों को ट्रैक करने में मदद करेगा। अगर कोई व्यक्ति अपने पृथकवास से बाहर निकलता है तो ऐसे में इस ऐप के जरिये उस व्यक्ति का पता लगाया जा सकता है।
आईआईटी दिल्ली में छात्रों ने भी कोविड-19 के पीड़ितों के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों का पता लगाने में मदद करने के लिए एक एप बनाया है।
संस्थान के डिजाइन विभाग में पीएचडी के छात्र अरशद नासर ने कहा, ”ब्लूटूथ का उपयोग करके एप्लिकेशन उन सभी व्यक्तियों को ट्रैक और अलर्ट करेगा जो पिछले दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आया हो, या उसके आसपास से गुजरा हो। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की तारीख और क्षेत्र का भी एप के जरिए पता चल जाएगा। आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर कमल जैन ने एक ट्रैकिंग एप विकसित किया है जो कोरोना वायरस को रोकने के लिए आवश्यक निगरानी प्रणाली को मजबूत कर सकता है।