कोराना वायरस: ‘सरकार की नज़र में हमारी ज़िंदगी की क़ीमत महज़ 30 रुपये’

कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में डॉक्टरों की ही तरह आशा कार्यकर्ताओं को भी पूरे देश में काम पर लगाया गया है.

आशा कार्यकर्ता गांवों और शहरों में घर-घर जाकर परिवार के एक-एक सदस्य की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी इकट्ठा करने में लगी हुई हैं.

इस दौरान आशा कार्यकर्ता पर कर्नाटक और महाराष्ट्र में हमले भी हुए हैं.

ऐसी रिपोर्ट भी आई है कि एक आशा कार्यकर्ता के हाथ पर होम क्वारंटीन की मुहर देखकर गांव से बाहर जाने को कहा गया.

आशा कार्यकर्ता कोरोना संकट के इस दौर में किन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं, यहां ये जानने की हमने कोशिश की है.

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