विदेश से व्यापार में डॉलर की निर्भरता कम करने के लिए भारत की ओर से उठाया कदम कारगर साबित हो रहा है. रूस के साथ रुपए में व्यापार की शुरूआत के बाद देश में 17 वोस्त्रो खाते खुल चुके हैं और जर्मनी, इजरायल, जर्मनी जैसे विकसित देशों समेत 64 देशों ने रुपए के जरिए कारोबार करने पर रुचि जताई है. आरबीआई ने जुलाई 2022 विदेशों से ब्याज आकर्षित करने और डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए रुपये में ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम का प्रस्ताव किया था. पहली बार यूरोपीय यूनियन में शामिल देश जर्मनी एशिया कि किसी मुद्रा यानी भारत के रुपए के साथ व्यापार करने के लिए आगे आया है, भारत का रुपया अगर 30 से अधिक देशों के साथ व्यापार करता है तो ऐसी स्थिति में वह अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मुद्रा का रूप ले सकता है।
बैंकों के संपर्क में पड़ोसी देश
शुरुआती चरण में रूस के बाद श्रीलंका ने भी भारतीय रुपये में व्यापार करने में सहमति जताई थी. जबकि अब रुपये में व्यापार करने के इच्छुक देशों में अफ्रीका के कई देश, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे पड़ोसी देश शामिल हैं. ये देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी से जूझ रहे हैं. जबकि ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान भी रुपये में ट्रेड सेटलमेंट करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. इन चार देशों ने रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए विशेष वोस्ट्रो अकाउंट के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. ये देश भारत में ऐसे खाते संचालित करने वाले बैंकों के संपर्क में हैं. मॉरीशस और श्रीलंका जैसे देशों के लिए विशेष वोस्ट्रो खातों को आरबीआई द्वारा मंजूर किया जा चुका है।
इतना भी आसान नहीं होगा
रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मान्यता मिलने से भारत को कई मोर्चों पर लाभ होगा. अगर यह सफल रहा तो कच्चे तेल सहित आयात की जाने वाली अधिकांश चीजों का भुगतान रुपये के माध्यम से ही किया जाएगा. अभी भारत इसके लिए हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है. इसके अलावा कई विदेशी लेनदेन का भुगतान डॉलर में किया जाता है. अभी भारत डॉलर की जरूरत को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपया बेचता है. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है. INR पूरी तरह से परिवर्तनीय नहीं है और इसलिए खरीदार मिलना अक्सर मुश्किल होता है. दूसरी ओर भारतीय रुपये की तुलना में USD की मांग अधिक है. इसकी आपूर्ति फेड द्वारा नियंत्रित की जाती है।
कंवर्जन फीस बचेगी
रुपये में व्यापार बढ़ने के साथ ही आरबीआई को बदले में आईएनआर के लिए खरीदार खोजने की आवश्यकता नहीं होगी. यह कदम भारतीय रुपये की मांग को बढ़ाएगा. अंतररष्ट्रीय बैंकों को कंवर्जन फीस नहीं भेजने से जो राशि जमा होगी, वह अंततः देश के विकास में काम आएगी. भारत का रुपया व्यापार निपटान तंत्र अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए डॉलर और अन्य बड़ी मुद्राओं के बजाय रुपये का उपयोग करने का एक तरीका है. वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात के लिए देशों को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है. चूंकि अमेरिकी डॉलर विश्व की सर्वमान्य मुद्रा है, इसलिए अधिकांश लेन-देन डॉलर में किए जाते हैं।
पिछले कुछ महीनों में डॉलर के मजबूत होने से दुनिया भर के कई देशों के लिए आयात महंगा हो रहा है. इससे एक विकल्प की तत्काल आवश्यकता महसूस हो रही है. वोस्ट्रो खाते की मदद से कोई भी देश भारत के साथ हुए आयात या निर्यात का मूल्य चुकाने के लिए रुपये का इस्तेमाल कर सकता है. इस खाते के जरिए बहुत आसानी से वस्तुओं और सेवाओं का चालान प्राप्त कर सकते हैं. इससे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता भी घटेगी।
कैसे होगा व्यापार
अगर कोई भारतीय खरीदार किसी विदेशी व्यापारी के साथ रुपये में लेन-देन करना चाहता है, तो राशि वोस्ट्रो खाते में जमा की जाएगी. जब भारतीय निर्यातक को आपूर्ति की गई वस्तुओं के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होती है, तो इस वोस्ट्रो खाते से कटौती की जाएगी और राशि निर्यातक के खाते में जमा की जाएगी।
कैसे खुलता है वोस्ट्रो अकाउंट
विदेश का कोई बैंक स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट खोलने के लिए भारत में एडी बैंक से संपर्क कर सकता है, जिसके बाद भारतीय AD बैंक RBI से इसके लिए अनुमोदन लेगा. आरबीआई द्वारा दी गई स्वीकृति के बाद भारतीय AD बैंक में स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट चालू हो जाएगा. दोनों पक्षों के बीच रुपये में व्यापार शुरू होने के साथ ही मुद्राओं की विनिमय दर मार्केट रेट पर तय कर ली जाएगी।
17 भारतीय बैंक शाखाओं ने रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा के लिए विदेशों में भागीदार व्यापारिक बैंकों के साथ विशेष वोस्त्रो खाते खोले हैं. 12 भारतीय बैंकों की सूची में यूको बैंक, इंडसइंड बैंक लिमिटेड, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड, केनरा बैंक लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, यस बैंक लिमिटेड, भारतीय स्टेट बैंक, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड शामिल हैं।
ये होते हैं फायदे
- सीमापार लेन-देन में रुपये का उपयोग भारतीय व्यापार के लिए जोखिम को कम करेगा.
- मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा न केवल व्यवसाय करने की लागत को कम करती है, बल्कि यह व्यवसाय के बेहतर विकास को भी सक्षम बनाती है.
- इससे भारतीय व्यापार के विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना में सुधार होता है.
- विदेशी मुद्रा भंडार रखने की आवश्यकता को भी कम करता है। खासतौर पर डॉलर के भंडार के मद्देनजर.
- विदेशी मुद्रा भंडार विनिमय दर की अस्थिरता पर लगाम लगाने में मदद करता है.
- विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम करने से भारत बाहरी प्रभावों के प्रति कम संवेदनशील हो जाएगा..यानी डॉलर के बढ़ने घटने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा