अभी जब कोरोना वायरस के ख़तरे ने दुनिया पर अपना शिकंजा नहीं कसा था, तब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर में राजनीतिक व्यवस्था को दोबारा स्थापित करने के तमाम विकल्प तलाश रहे थे.
कश्मीर में अगस्त महीने से लगभग लॉकडाउन की ही स्थिति थी. बीते साल 5 अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर को मिले विशेषाधिकारों को निरस्त कर दिया था.
अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के बाद इस क्षेत्र में हिंसा की बेहद मामूली घटनाएं हुई थीं और किसी की जान नहीं गई. अब इस क़दम के कुछ महीनों बाद सरकार का सारा ध्यान जनता की नाराज़गी को सीमित रखने और अपने लिए नए राजनीतिक सहयोगियों को जमा करने पर केंद्रित हो गई थी.