यूपी:- में इन सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी बने विधायक
उत्तर प्रदेश की 18वीं विधान सभा में इस बार 34 मुस्लिम उम्मीदवार पहुंचे हैं। इनमें सबसे अधिक 21 मुस्लिम विधायक पश्चिम से चुनकर आये हैं जबकि छह मध्य यूपी से, सात पूर्वांचल से हैं। इनमें 32 विधायक सपा के और दो राष्ट्रीय लोकदल के हैं। रालोद के दो मुस्लिम विधायक सिवालखास से गुलाम मोहम्मद और थाना भवन से अशरफ अली हैं। इन मुस्लिम विधायकों में सबसे बुजुर्ग और पुराने चेहरे निजामाबाद से आलमबदी हैं जबकि सबसे नया चेहरा मऊ से अब्बास अंसारी हैं। प्रदेश के चुनावी इतिहास में 2012 अब तक का इकलौता ऐसा विधान सभा चुनाव रहा जब सर्वाधिक 68 मुस्लिम एमएलए बने। बाद में इनकी संख्या 69 हो गयी थी। इनमें से करीब 45 विधायक सपा के थे तब राज्य की 18.5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को विधान सभा में 17.1 प्रतिशत प्रतिनिधित्व मिला था। अब तक सबसे कम 1991 में महज 17 मुस्लिम विधायक ही जीतकर सदन पहुंचे थे। जब विधान सभा में 4.1 प्रतिशत मुस्लिम प्रतिनिधित्व रहा था। बताते चलें कि इस
बार बसपा ने भी 88 मुस्लिम नेताओं को टिकट दिया था। जबकि सपा ने 64 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने 60 से अधिक सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इसी तरह पीस पार्टी, राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे मगर इन सभी के हाथ निराशा लगी। प्रदेश की 403 विधान सभा सीटों में से 143 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें से 73 सीटों पर मुस्लिम ही हार-जीत तय करते हैं। इन सीटों पर मुस्लिम आबादी 35 से 50 फीसद के बीच है। इसका सीधा मतलब यह है कि प्रदेश की ऐसी अनेक सीटें ऐसी भी रहीं जिन पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के बावजूद भाजपा को मुस्लिमों का भी वोट मिला।