मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज की धऱती पर पूरा प्रदेश मां गंगा-यमुना व सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान कर माघ मेले में सहभागी बनकर सफलता के मार्ग का अनुसरण करने का संकल्प लेता है। यूपी का प्रत्येक नागरिक न्याय की अभिलाषा में प्रयागराज आता है। बार व बेंच के बेहतर समन्वय का यह कार्यक्रम अधिवक्ता कुंभ ही है। प्रयागराज की धरती प्राचीन काल से ही प्रेरणा की रही है। यह धर्म की धरती है, यहां से अध्यात्म की प्रेरणा प्राप्त होती है। देश में शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में प्रयागराज का महत्व रहा है। 12 हजार वर्ष पहले भारत का पहला गुरुकुल भारद्वाज का गुरुकुल यहीं रहा। प्रयागराज न्याय का पवित्र मंदिर भी है। जब कोई अपनों से पीड़ित-प्रताड़ित होता है, आस व विश्वास खो देता है तो आशा भरी निगाहों से न्याय के इस मंदिर की ओर देखता है। यहां से मिली राह जीवन की नई राह होती है। बार-बेंच का यह समन्वय इसे प्रस्तुत करने का कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की स्थापना के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं की फोटो का अनावरण भी किया।
अधिवक्ता समुदाय ने देश को नेतृत्व दिया है
सीएम ने कहा कि जब बार 150 वर्ष पूर्ण कर रहा है तो यह संयोग ही है कि देश ने आजादी का अमृत महोत्सव भी पूर्ण किया है। लंबे समय तक आजादी की लड़ाई लड़ी गई। यह भारत को दासता से मुक्त करने का वृहद अभियान था। आजादी की लड़ाई में अधिवक्ता समुदाय ने न केवल भाग लिया, बल्कि देश को नेतृत्व भी दिया। देश की आजादी को नई दिशा देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहें हों या संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, संविधान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा रहे हों या संविधान को स्वरूप देने वाले शिल्पी बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रहे हों या सरदार वल्लभ भाई पटेल। देश का हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जिन्होंने जुर्म की परवाह किए बिना लगातार आजादी के लिए लड़ता रहा, उसमें अधिवक्ता समुदाय अग्रणी भूमिका में रहा। इस पुरातन पहचान को फिर से आगे किए जाने की आवश्यकता है।
लोक अदालत में जितने मुकदमों का निस्तारण हुआ था, उनमें से आधे यूपी के
सीएम ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हर क्षेत्र में देश को नेतृत्व दिया है। पिछले दिनों दिल्ली में मुख्यमंत्रियों व चीफ जस्टिस की बैठक थी। देश में लोक अदालत का परिणाम देख रहा था तो देश में जितने मुकदमों का निस्तारण हुआ था, उनमें से आधे से अधिक यूपी के थे। यानी यूपी में पहले भी यह क्षमता थी और आज भी है। वह कौन सा क्षेत्र था, जिसमें यूपी ने नेतृत्व न दिया हो, आज फिर उसी भूमिका से जाना जा रहा है। सामूहिक प्रयास होना चाहिए।
मनन होना चाहिए कि हमने क्या खोया-क्या पाया
सीएम ने कहा कि जब मुझे यहां के लिए आमंत्रण मिला तो मैंने पूछा कि यह कार्यक्रम सिर्फ बार का ही है या बेंच भी है। बताया गया कि इस कार्यक्रम में सभी सहभागी रहेंगे। मुझे प्रसन्नता है कि यह कार्यक्रम मिलकर गौरवपूर्ण 150 वर्ष के अवलोकन का अवसर प्रदान कर रहा है। इन वर्षों में क्या खोया, क्या पाया, इस पर मनन करना चाहिए। यह देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो चिंतन हुआ कि क्या खोया, क्या पाया। अमृत काल में भारत को दो उपलब्धियां मिली हैं। ब्रिटेन को पछाड़कर भारत पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना, दूसरा अमृतकाल में भारत को जी-20 की अध्यक्षता का सौभाग्य मिला। दुनिया में विश्व शांति व कल्याण के मार्ग पर हम व्यापक चिंतन कर रहे हैं। यूपी में जी-20 के चार महानगरों में 11 समिट होंगे। हमें वैश्विक मंच पर देश व प्रदेश को प्रस्तुत करने का अवसर मिला है। हमारे पास कितना प्रोटेंशियल है, हम दुनिया के लिए क्या कर सकते हैं। यह बताने का अवसर देने के लिए पीएम मोदी का आभार है तो भारतवासियों के लिए गौरव की अनुभूति है।
सीएम ने कहा कि गरीब विश्वास से आता है, लेकिन टूटे चेंबर से आशंका होती है कि सही जगह आया हूं कि नहीं। शासन उनके लिए अच्छे चेंबर बनाना चाहता है। यह गरीब को न्याय दिलाने का सशक्त माध्यम बनेगा। बैठने की अच्छी व्यवस्था होती है, वादकारी का विश्वास बनता है। बहुत लोग अपनों से ठुकराए होते हैं। भाई-भाई के छोटे विवाद बैठकर भी हल हो सकते हैं, लेकिन स्थिति ऐसी हो जाती है कि वह न्यायालय आता हैं, वह भाई पर विश्वास नहीं करता, लेकिन अधिवक्ता पर विश्वास करता है। यह बहुत बड़ी पूंजी है, इसे संजोए रखना। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए शासन ने पैसा उपलब्ध कराया है, कई जगह प्रस्ताव मांगे हैं। जनपद न्यायालय में चैंबर के लिए प्रयागराज में 11.31 करोड़, कासगंज में 5.25 करोड़, लखनऊ के लिए 4.88 करोड़, श्रावस्ती 4.85 करोड़ रुपये स्वीकृत करा चुके हैं। यूपी के 25 करोड़ की जनता के विश्वास के साथ कार्य कर रहे हैं। न्यायपालिका व कार्यपालिका मिलकर सही व सस्ता न्याय कैसे दिला सकते हैं, इस पर प्रयास करना होगा।
पर्व एकांकी के विषय नहीं होते
सीएम ने कहा कि हर घऱ तिरंगा से जुड़ने का हमें अवसर मिला। पर्व एकांकी के विषय नहीं होते। कुंभ के अवसर पर संगम आकर डुबकी लगाते हैं। भारतीय मनीषा ने जीवन को दुविधा में नहीं डाला। कोई अकेले व्यवस्था का संचालन नहीं कर सकता। प्रयागराज में ही संगम क्यों हुआ, गंगा-यमुना के साथ अदृश्य सरस्वती के भी दर्शन होते हैं। भारतीय मनीषा ने साफ कहा कि एकम सद् विप्रा बहुधा वदन्ति, सत्य एक है, विद्वान अलग-अलग परिभाषित करते हैं। हम सत्य को समझने का प्रयास करें तो टकराव की नौबत नहीं आएगी, क्योंकि सबको सस्ता और समय से न्याय मिले, यही सबका लक्ष्य है।
आप बार के लिए जो मांगेंगे, वह 25 करोड़ जनता के हित में होगा
सीएम ने कहा कि आपको अधिकार मांगना भी चाहिए। बार के लिए जो भी मांगेंगे, यूपी की 25 करोड़ जनता के हित में होगा। सीएम व मुख्य न्यायाधीश की बैठक में न्यायपालिका के इंफ्रास्ट्रक्चर व सही-सस्ते न्याय दिलाने की चर्चा होती है। शासन-न्यायपालिका की भी यही मंशा है, जब बार उससे जुड़ जाता है तो तेजी से इसे बढ़ाने में मदद मिलती है। हम यहां मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था करने जा रहे हैं। शासन ने राशि उपलब्ध करा दी है। इसके पूर्ण होते ही
2500 चेंबर बनाने और 10 हजार अधिवक्ताों के बैठने की व्यवस्था होगी।
राष्ट्रपति होकर भी राजेंद्र प्रसाद ने नहीं छोड़ा विरासत
सीएम ने कहा कि शासन ने यहां पहले ही नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की सहमति दे दी है। जमीन की सहमति बन सकती है तो हम सहयोग दे सकते हैं। प्रयागराज न्याय व शिक्षा की धरती है, इसलिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर अच्छी लॉ यूनिवर्सिटी होनी चाहिए। प्रयागराज में जब कुंभ में जाता हूं तो प्रेसिंडेट सूट देखता हूं कि क्या कोई राष्ट्रपति कुंभ के समय आते हैं तो पता चलता है कि कई राष्ट्रपति आए, लेकिन कल्पवास के लिए केवल राजेंद्र प्रसाद यहां आते थे, इस पद पर होकर भी उन्होंने विरासत को नहीं छोड़ा। जिला प्रशासन तत्काल लैंड उपलब्ध कराकर इसे आगे बढ़ाए। बार व बेंच का सानिध्य यूनिवर्सिटी को प्राप्त हो पाएगा।
अधिवक्ताओं के हित में सरकार ने किए कई कार्य
सीएम ने कहा कि अधिवक्ताओं से जुड़ी कई घोषणाएं पहले हुई थीं। आकस्मिक मृत्यृ पर आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। अधिवक्ता कल्याण निधि में पंजीकरण के 30 वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर त्यागपत्र या मृत्यु होने पर आश्रित को डेढ़ लाख से 5 लाख कर ली है। युवा अधिवक्ताओं को शुरूआती तीन वर्ष में पुस्तक-पत्रिका क्रय करने के लिए दी जाने वाली राशि वित्तीय स्वीकृति संबंधी आदेश निर्गत किए जा चुके हैं। सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के तहत मृत्यु के दावे के रूप में 2017-18 से 31 जनवरी 23 तक 13 करोड़ 37 लाख 92 हजार से अधिक भुगतान राशि न्यासी समिति की ओर से की जा चुकी है। मृतक अधिवक्ताओं के उत्तराधिकारियों को इस दौरान आर्थिक सहायता के रूप में 111 करोड़, 81 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान किया गया है। केवल हाईकोर्ट ही नहीं, बल्कि जहां जिला न्यायालय नहीं बने हैं, वहां इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनाने के साथ जिला व कमिश्नरी मुख्यालयों को इंटीग्रेटेड बनाने का निर्णय लिया है। न्यायिक व प्रशासनिक व्यवस्था के लिए तेजी से कार्य चल रहा है।