भ्रष्ट अधिकारी दोषी करार, रिश्वत न देकर मां-बेटी ने पांच साल लड़ा मुकदमा
सरकारी राशन की दुकान चलाने वाली एक महिला और उसकी बेटी ने रिश्वत देकर अपने खिलाफ दायर शिकायत को निपटाने की बजाय भ्रष्ट अधिकारी की पोल खोलने की ठानी और सीबीआई को शिकायत कर दी। मां-बेटी पांच साल तक कानूनी प्रक्रिया के दौरान डटी रहीं। इसका नतीजा रहा कि आरोपी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर और उसकी महिला साथी इस मामले में दोषी ठहराए जा सके।
राउज एवेन्यू कोर्ट स्थित विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार की अदालत ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में इंस्पेक्टर नीरज कुमार सलूजा व महिला साथी सपना उर्फ चारु को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 8 व आपराधिक साजिश के तहत दोषी ठहराया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि साक्ष्यों व गवाहों से यह स्पष्ट हो गया है कि आरोपी महिला ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर के साथ मिलकर शिकायतकर्ता महिला व उसकी बेटी से रिश्वत वसूलने की साजिश रची।
दरअसल, ख्याला में राशन की दुकान चलाने वाली विधवा महिला कौशल्या के खिलाफ एक स्थानीय निवासी ने विभाग में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता का कहना था कि राशन वितरण में अनियमितता बरती जा रही है। शिकायत की जांच इंस्पेक्टर सलूजा को सौंपी गई। सलूजा ने राशन की दुकान का कई बार दौरा किया। इसी बीच कौशल्या के मोबाइल पर एक महिला का फोन आया, जिसे एक लाख रुपये में शिकायत का निपटारा कराने की बात कही, लेकिन कौशल्या व उसकी बेटी ने 26 दिसंबर 2016 को सीबीआई को शिकायत कर दी।
सीबीआई ने सपना उर्फ चारु को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। चारु ने बताया कि इंस्पेक्टर सलूजा ने उसकी नौकरी कॉल सेंटर में लगवाई थी और उसी ने कौशल्या से एक लाख रुपये रिश्वत मांगने को कहा था। कौशल्या व उसकी बेटी के बुलाने पर वह रिश्वत की रकम लेने जनकपुरी मेट्रो स्टेशन आई थी, जहां सीबीआई ने उसे 20 हजार रुपये लेते रंगे हाथों पकड़ लिया।
मामले में रिश्वतखोरी का खुलासा होने पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने सरकारी राशन की दुकान के खिलाफ उपभोक्ता की शिकायत की जांच की तो पता चला कि वह समय से दुकान नहीं खोलती। विभाग ने कौशल्या को सही तरीके से राशन वितरण का निर्देश दिया।
अदालत ने मामले में दोषी फूड इंस्पेक्टर और उसकी साथी महिला की सजा पर बहस के लिए 29 मार्च की तारीख तय की है। अभियोजन और बचाव पक्ष को अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने को कहा गया है।