रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब चीन-ताइवान लड़ाई की बारी
चीन में शी जिनपिंग भी पश्चिम को अप्रत्याशित तरीके से चुनौती दे सकते हैं। एक आम सहमति यह रही थी कि चीन वास्तव में ताइवान पर आक्रमण नहीं करेगा। कहा जा रहा है कि इससे चीन को सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक रूप से बहुत अधिक नुकसान होगा। हालांकि, अब यह गणना अब बदल गई है। अब तो ऐसा माना जा रहा है कि जिनपिंग भी पुतिन वाला तेवर अपना सकते हैं। यूक्रेन पर यह खूनी आक्रमण एक सत्तावादी राज्य द्वारा एक लोकतांत्रिक राष्ट्र पर हमला है। रूस और चीन दोनों में ही जोखिम लेने की क्षमता और इसके लिए भूख है। इस तेवर ने न केवल यूरोप और अमरीका को बल्कि एशिया को भी एक दूरगामी प्रभाव के लिए सतर्क रहने के लिए मजबूर कर दिया है। पुतिन के युद्ध ने जर्मनी जैसे देशों के भ्रम को चकनाचूर कर दिया है। एशिया को भी चीन के बारे में ऐसा ही सोचना चाहिए। लेकिन इस बात की प्रबल
संभावना है कि लोग इस सबक पर बहुत कम ही ध्यान देंगे। शी और पुतिन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में लगातार जुटे हैं। 5 फरवरी को शीतकालीन ओलंपिक के दौरान पुतिन ने शी से मुलाकात की थी। ओलंपिक के समापन के ठीक चार दिन बाद पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण का समय चुना। शायद कुछ हद तक यह एक मिलीभगत का संकेत देता है। यह जानना असंभव है कि उनकी बैठक में क्या चर्चा हुई, लेकिन निश्चित रूप से एजेंडे में यूक्रेन के खिलाफ संभावित युद्ध प्रमुख था। दोनों देशों ने एक अभूतपूर्व संयुक्त बयान जारी किया। चीन ने “यूरोप में सुरक्षा गारंटी के लिए बाध्यकारी” रूसी मांगों के लिए अपनी सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया। जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय के एक रूसी विशेषज्ञ एंजेला स्टेंट ने सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज को बताया: “मैं यह जरूर कह सकता हूं कि अगर रूस के पास चीन
का समर्थन हासिल नहीं होता तो व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ इस आक्रामक तेवर के लिए इस समय को नहीं चुनते। हालांकि, रूसी आक्रमण के सिर्फ यही कारण नहीं हैं।” 2008 में बीजिंग ओलंपिक से ठीक एक सप्ताह पहले रूस ने जॉर्जिया पर आक्रमण किया था। पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने से पहले शीतकालीन ओलंपिक के एक सप्ताह बाद तक इंतजार किया। स्टेंट ने कहा, “अब वह संबंध बहुत मजबूत है। हमारे पास एक अलग चीनी नेता है। अब हम एक अलग दुनिया में हैं। इसलिए मुझे लगता है कि पुतिन क्या कर रहे हैं, यह समझने के लिए यह एक आवश्यक पृष्ठभूमि है।” व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, “दिसंबर 2021 में अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी थी कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। हमारी जानकारी से संकेत मिलता है कि चीन ने उस समय रूस को यह जानकारी दे दी थी। चीन ने अपने संदेश में यह लिखा था कि रूस के साथ हमारी दोस्ती में अमेरिका कांटे बोने की कोशिश कर रहा है। उसने संदेश में यह
भी कहा कि चीन रूस को आक्रमण करने से रोकने की कोशिश नहीं करेगा।” अगर पुतिन ने अपनी बीजिंग बैठक में शी को अपनी योजनाओं के बारे में बताया तो चीन ने अपने स्टैंड साफ करने में मदद की। यदि पुतिन ने ऐसा नहीं किया तो इसका मतलब यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका रूस की तुलना में अधिक भरोसेमंद है। संयुक्त राज्य अमेरिका पर अविश्वास करना चीनी नेताओं के डीएनए में है। 25 फरवरी को चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के साथ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के निंदा प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया। इयान ईस्टन ने चेतावनी दी, “यह न भूलें कि चीन संयुक्त राष्ट्र के युद्ध-विरोधी वोटिंग में शामिल नहीं हुआ है। शी जिनपिंग अपने साथी व्लादिमीर पुतिन का समर्थन कर रहे हैं। वे कट्टरपंथी मार्क्सवादी हैं। उदार विश्व व्यवस्था और लोकतंत्र को नष्ट करने के उनके अभियान में सहयोगी हैं।”