000वें वनडे में दीपक हुड्डा ने भारत के लिए किया डेब्यू, विराट कोहली ने सौंपी कैप

भारत और वेस्टइंडीज के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मैच आज नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा है। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले ही वनडे मैच में घरेलू क्रिकेट के स्टार ऑलराउंडर दीपक हुड्डा ने डेब्यू किया है। रोहित शर्मा ने सीरीज से पहले हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ संकेत दिए हैं कि इस सीरीज में टीम कई बदलाव के साथ नजर आने वाली है और कुछ युवा खिलाड़ियों को भी मौका दिया जाएगा।

दीपक हुड्डा के लिए पिछला साल बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा था। कप्तान क्रुणाल पंड्या के साथ झड़प के बाद उन्होंने बड़ौदा की टीम छोड़ दी थी, लेकिन उन्हें जिस भी टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला, उसमें उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन किया और अब उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली सीरीज के लिए पहली बार भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया है। दीपक हुड्डा के लिए ये मैच यादगार होने जा रहा है। क्योंकि भारतीय टीम आज अपना 1000वां वनडे मैच खेलने उतरेगी।

पिछले 12 महीने उतार चढ़ाव वाले रहे

इस बल्लेबाजी ऑलराउंडर को 2017 में भारत की टी20 टीम में चुना गया था लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। भारत अब मध्यक्रम में बल्लेबाजी आलराउंडर की तलाश में है और ऐसे में इस 26 वर्षीय खिलाड़ी को अगले महीने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिल सकता है। हुड्डा के लिए पिछले 12 महीने उतार चढ़ाव वाले रहे, लेकिन उन्होंने अपने करियर के बुरे दौर से उबरने के लिए गजब की मानसिक मजबूती दिखाई। क्रुणाल के साथ बहस के बाद बड़ौदा टीम के होटल से बाहर निकलने के छह महीने बाद हुड्डा 2021-22 सत्र से पहले एक पेशेवर के तौर पर राजस्थान से जुड़े।

इरफान पठान ने दिखाई रहा

हुड्डा सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में दूसरे स्थान पर थे। यह राजस्थान की तरफ से उनका पहला टूर्नामेंट था, जिसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी के लिए उन्हें कप्तान बनाया गया, जहां उन्होंने कर्नाटक के खिलाफ शतक जमाया।

हुड्डा के लिए मार्गदर्शक रहे इरफान पठान ने कहा, ”यह सच्ची कहानी है। बहुत सी टीमें उसे चाहती थीं। उसे पैसे की परवाह नहीं थी। वह सिर्फ मैदान पर उतरकर खेलना चाहता था और वह इसी तरह का इंसान है। जब क्रिकेट खेलने की बात आती है तो वह कैंडी स्टोर में खड़े एक बच्चे की तरह है। वह क्रिकेट को बेइंतहा चाहता है।”

उन्होंने कहा, ”वह अन्य फायदों की परवाह नहीं करता। आरसीए के पदाधिकारी भी हैरान थे कि उसने पैसे की बात ही नहीं की। वह व्यावसायिक मसलों पर बात नहीं करता।”

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