उत्तर प्रदेश में 2004 से हुए चार लोकसभा चुनावों व तीन विधानसभा चुनावों में चुने गए 1544 सांसद-विधायकों में से 39 फीसदी दागी हैं और इनमें भी 25 फीसदी के ऊपर गंभीर मामले हैं। इनकी औसत सम्पत्ति 4.60 करोड़ रुपये है।
एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए हैं। इनमें 940 ही ऐसे सांसद-विधायक हैं, जिनकी छवि बेदाग है। उप्र इलेक्शन वॉच और एडीआर ने 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों के प्रत्याशियों व जीते सांसद व विधायकों के शपथपत्रों के आधार पर ये रिपोर्ट जारी की है। इसमें 21229 प्रत्याशियों और सांसदों/ विधायकों का विश्लेषण शामिल है। इन चुनावों में 1544 सांसद व विधायक जीते थे।
दागियों की संख्या बढ़ रही
विश्लेषण में पाया गया कि संसद और विधानसभा के 21229 प्रत्याशियों में से 3739 ((18 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले थे जिसमें से 2299 (11 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित है।
● भले ही चुनावों में बाहुबल या धनबल की आलोचना की जाए लेकिन विवरण देखा जाए तो बेदाग छवि के साथ चुनाव जीतने की संभावना पांच फीसदी ही होती है।
● महिला व पुरुष विधायकों-सांसदों की सम्पत्ति की तुलना करें तो पुरुष प्रतिनिधियों की औसतम सम्पत्ति 4.21 करोड़ रुपये है तो महिला विधायक-सांसदों की औसत सम्पत्ति 8.31 करोड़ हैं।
● वर्ष 2004 से अब तक कुल 21229 उम्मीदवारों में से केवल 1641 यानी आठ फीसदी महिला प्रत्याशी रहीं।
● दागी में महिला नेता भी कम नहीं। वर्ष 2004 से अभी तक चुनी गई 147 महिला विधायक-सांसदों में से 38 यानी 26 फीसदी दागी हैं। वहीं 41 फीसदी दागी पुरुष विधायक-सांसद चुने गए।