कुछ लोग नियमित रूप से गार्डनिंग यानी बागवानी करते हैं तो कुछ इसे वीकेंड हॉबी के रूप में अपनाते हैं। वैसे भी प्रकृति मानव जाति की सबसे बड़ी मित्र है और इसके करीब रहना बेहद फायदेमंद है। कई शोध बताते हैं कि प्रकृति के करीब रहना तनाव को दूर करने और गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह अभ्यास मन और शरीर दोनों के लिए अच्छा है क्योंकि प्रकृति सबसे बड़ी हीलर है। इसलिए, जब भी तनावग्रस्त, उदास या निराश महसूस करें, तो घर के आंगन में जाएं और बागवानी शुरू करें। यदि आप बागवानी के इस व्यायाम को अपनाते हैं तो हर रोज तनाव से निपटना आसान हो सकता है। यह साबित होता है कि जब आप किसी शारीरिक कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आपका दिमाग अन्य महत्वहीन चीजों से अलग हो जाता है। यह मानसिक शांति पाने और मानसिक स्वास्थ्य को बहाल करने में मदद करता है। बागवानी शारीरिक स्वास्थ्य में भी योगदान देती है जैसे खुदाई, रोपण, खरपतवार खींचना और कटाई जैसी प्रक्रियाएं हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं।
यदि किसी चीज से परेशान हैं या निराश या उत्तेजित हैं, तो एक फावड़ा उठाएं और मिट्टी खोदना शुरू करें और बीज बोएं। यदि बहुत गुस्से में हैं, तो इसके बजाय पेड़ों की अतिरिक्त शाखाओं को काट सकते हैं या झाड़ियों को काट सकते हैं। किसी और पर बरसने की बजाय, अंदर के गुबार को इस तरह से बाहर निकालना बेहतर है।
बागवानी केवल एक शौक नहीं है, बल्कि इससे विकास की मानसिकता विकसित करने में भी मदद मिल सकती है। जब बीज को पौधों के रूप में फलते-फूलते देखते हैं, तो समझते हैं कि कैसे एक छोटी-सी चीज किसी बड़ी चीज में विकसित हो सकती है। यह जीवन का एक बड़ा सबक है जो दिमाग को विकास और विकास की दिशा में सोचने की अनुमति देता है। बागवानी में समय बिताना उम्मीद बरकरार रखने में मदद करता है।
बागवानी गर्भावस्था के दौरान भी बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इस दौरान रचनात्मक होने से बच्चा बुद्धिमान होता है। www.myupchar.com के डॉ. विशाल मकवाना का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान रचनात्मक होने से दिमाग सक्रिय हो जाता है और बच्चा यह रचनात्मकता मां से हासिल करता है। लिखना, पेंटिग करना, बुनाई ही नहीं गार्डनिंग यानी बागवानी का शौक मस्तिष्क को आराम देता है, तनाव दूर करता है।
इतना ही नहीं बागवानी समान रूचि रखने वाले लोगों के साथ संबंध बनाने का एक शानदार अवसर है। अपने खाली समय में, गार्डनिंग क्लास जा सकते हैं, जहां आप बहुत सारे लोगों से मिलेंगे। यह बागवानी में क्या सही है क्या नहीं बताने के अलावा सामाजिक संबंध बनाने में मदद करता है। सामाजित संबंध जितना अधिक दृढ़ होगा, उतना मानसिक और भावनात्मक रूप से संतुष्टि का एहसास होगा। इससे सेहत बनाए रखने में मदद मिलती है।
www.myupchar.com के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया मस्तिष्क कोशिकाओं को न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन का उत्पादन करने के लिए एक्टिवेट कर सकते हैं। यह एक एंटीडिप्रेसेंट की तरह काम करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया सीखने की क्षमता में मदद करते हैं।