कर्नाटक की भाजपा सरकार विधानसभा सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आने वाली है। भाजपा की बसवराज बोम्मई सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त बनाया जाएगा। बिल के नए मसौदे में सजा की अवधि तीन साल से बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की रकम 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख और 5 लाख तक की जा सकती है।
कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान बसवराज बोम्मई सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, इस सप्ताह सरकार विधानसभा के पटल पर कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण विधेयक 2021 बिल पेश कर सकती है। सरकार का ये कदम हाल ही में हिंदू धर्म से इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तन की खबरों के बीच आया है।
सत्तारूढ़ भाजपा इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक विधानसभा में पेश करने पर जोर दे रही है। राज्य सरकार ने प्रस्तावित कानून की वैधता की जांच के लिए पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें भी आयोजित की हैं। बुधवार रात को विधायक दल की हुई बैठक में भाजपा ने यह निर्णय लिया कि मौजूदा सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों, नाबालिगों और महिलाओं के दूसरे धर्म में जबरन धर्मांतरण के लिए अधिकतम 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान रखा गया है। सामान्य वर्ग के लोगों के धर्मांतरण के मामले में तीन साल से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है। जबकि नाबालिगों, महिलाओं, एससी और एसटी समुदायों के व्यक्तियों के धर्म परिवर्तन के मामले में तीन से दस साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
इस नए विधेयक में ग्रुप में धर्मांतरण होने पर दोषी को दस साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना देना होगा। इसके अलावा विधेयक यह भी कहता है कि कोर्ट सुनवाई के दौरान दोषी को जुर्माने की रकम एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख भी कर सकता है।