अर्थशास्त्रियों ने आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई में और बढ़ोतरी की चेतावनी दी है क्योंकि कंपनियां आर्थिक सुधार के बीच उपभोक्ताओं को बढ़ती इनपुट लागतों का बोझ डाल सकती है। इससे जरूरी सामानों की कीमत में बढ़ोतरी होगी, जो महंगाई को बढ़ाएगी। अगर महंगाई में बढ़ोतरी होती है तो रिजर्व बैंक को ब्याज दर बढ़ाने पर सोच सकता है। इससे सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो जाएगा।
बता दें देश में खुदरा महंगाई एक बार फिर बढ़ी है। इसके पीछे मुख्य वजह तेल और खाद्यान्नों की कीमतों में इजाफा होना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसर खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़कर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गई जो कि अक्तूबर में 4.48 प्रतिशत थी। हालांकि, पिछले वर्ष नवंबर के 6.93 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष करीब दो फीसदी की गिरावट है और यह रिजर्व बैंक के दायरे में है।
खाद्य तेलों की कीमतों में करीब एक तिहाई की बढ़ोतरी
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2021 में खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है लेकिन सब्जियों की कीमतों में करीब 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस साल नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं, पिछले महीने में 0.85 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष नवंबर में यह 9.50 प्रतिशत पर रहा था। इसके साथ ही अंडों की कीमतें भी इस वर्ष कम रही है, जबकि मांस और मछली महंगी रही है।
चीनी और मीठे उत्पाद की कीमतों में बढ़ोतरी
नवंबर 2021 में चीनी और मीठे उत्पाद की कीमतों में बढ़ोतरी रही है। कुल मिलाकर नवंबर 2020 की तुलना में नवंबर 2021 में खुदरा महंगाई नरम रही है। भारतीय रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। उसका मानना है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में ऊंचा रहेगा, क्योंकि तुलनात्मक आधार का प्रभाव अब प्रतिकूल हो गया है। रिजर्व बैंक के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उच्चस्तर पर रहेगी। उसके बाद इसमें नरमी आएगी।
आरबीआई के अनुमान के करीब
आरबीआई ने 2021-22 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उसके बाद महंगाई में कमी आने का अनुमान है। वहीं, 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा था कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क तथा मूल्य वर्धित कर (वैट) को कम किए जाने से प्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में महंगाई दर में टिकाऊ आधार पर कमी आएगी। परोक्ष रूप से ईंधन और परिवहन लागत कम होने का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।