शेयर बाजार धड़ाम, यूरोप और रिलायंस से है कनेक्शन

सप्ताह की शुरुआत शेयर बाजार के लिए अच्छी नहीं रही।सेंसेक्स में सोमवार को 1100 अंकों की गिरावट देखने को मिली। वहीं, नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज यानी निफ्टी 300 अंक टूटकर 17,500 के नीचे कारोबार कर रहा था। आखिर शेयर बाजार में इस गिरावट की वजह क्या है, आइए एक-एक करके समझते हैं पूरी बात-

रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के कारोबार से जुड़ी एक बड़ी खबर शनिवार को आई थी। अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने शुक्रवार को देर रात को सऊदी अरब (Saudi-Aramco) की कंपनी सऊदी अरामको को अपनी तेल रिफाइनरी और पेट्रोरसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्तावित 15 अरब डॉलर के सौदे के पुनर्मूल्यांकन की घोषणा की थी। जिसका असर सोमवार सेंसेक्स में भी दिखा, कंपनी के शेयर 4% से अधिक नीचे आ गए।

वहीं, अच्छे आंकड़ों के बावजूद पेटीएम के शेयरों में आज दूसरे दिन फिर गिरावट देखने को मिली। पेटीएम की पैरेंट कंपनी One97 कम्युनिकेशन की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में ग्राॅस मर्चेंडाइज वैल्यू 11.2 बिलियन डाॅलर थी। ये आंकड़े रविवार की शाम को आए। इसके बावजूद पेटीएम के निवेशकों को आज फिर नुकसान उठाना पड़ा है।

कोरोना का डर : कोरोना एक बार फिर से यूरोप में पैर पसार रहा है। जिसकी वजह से ऑस्ट्रिया जैसे देशों में फिर से लाॅकडाउन लगाना पड़ा। जर्मनी, बेल्जियम, स्लोवाकिया जैसे देशों में भी कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। यूरोप में बढ़ते प्रकोप का डर भारतीय बाजार में दिखाई दे रहा है।

कच्चे तेल के दाम में गिरावट: यूरोपीय देशों में कोरोना के फिर से पांव पसारने के कारण लॉकडाउन लगाने की अनिवार्यता से मांग में आई कमी ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को झटका दिया है। बीते शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर ब्रेंट क्रूड 79 डॉलर प्रति बैरल के नीचे चला गया।

एक्सपर्ट इस सप्ताह शेयर बाजार के रूख पर क्या कह रहे हैं? 

रेलिगेयर ब्रोकिंग के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अजित मिश्रा ने कहा, ‘सप्ताह के दौरान 25 नवंबर को डेरिवेटिव्स कांट्रैक्ट के की वजह से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है। साथ ही घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से निवेशक संकेतकों के लिए वैश्विक बाजारों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे।’ सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख येशा शाह ने कहा, ‘तिमाही नतीजों का सीजन समाप्त होने के बाद दलाल पथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों से दिशा लेगा। किसी तरह के सकारात्मक उत्प्रेरक के अभाव में बाजार दबाव में रह सकता है।’

उन्होंने कहा कि बाजार पर वैश्विक वृहद रुख का प्रभाव रहेगा, ऐसे में निवेशकों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत होगी और आक्रामक रुख अपनाने के बजाय चुनिंदा  दृष्टिकोण का विकल्प चुनना होगा।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ”आगे मुद्रास्फीतिक दबाव वैश्विक बाजारों के लिए चिंता का विषय रहेगा। ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका से भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकाली जा सकती है।” मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इसके अलावा रुपये की चाल, ब्रेंट कच्चे तेल का दाम और विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुझान भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा।

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