सूडान में कैसे हुआ तख्तापलट? इमरजेंसी की पूरी कहानी समझिए

सूडान में सेना ने तख्तापलट कर देश में आपातकाल लागू कर दिया है। अधिकतर मंत्री और सरकार समर्थक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। पीएम अब्दुल्लाह हमदूक को किडनैप कर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है।

बता दें कि अब्दुल्लाह हमदूक 2019 के आखिर से सूडान में शासन कर रहे थे। जनरल अब्देल-फतह बुरहान ने घोषणा की है कि जुलाई 2023 में चुनाव होने तक सेना सत्ता में रहेगी। आपातकाल की स्थिति की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा है कि चुनाव होने तक प्रशासन के लिए टेक्नोक्रेट की सरकार बनाई जाएगी।

अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और यूनाइटेड नेशंस ने तख्तापलट की निंदा की है। लेकिन ताकतवर देश सूडान की सेना पर कितना दबाव बना पाते हैं ये देखने वाली बात होगी। दूसरी ओर सूडान के जनरलों के मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ मजबूत संबंध हैं जो अब तक तख्तापलट की आलोचना करने से बचते रहे हैं।

बुरहान ने कहा है कि वह समय पर चुनाव कराने को लेकर गंभीर है लेकिन डेढ़ साल एक लंबा वक्त है। ऐसे में यह संभव है कि सेना इतने दिनों में अपनी पकड़ को और मजबूत कर ले। प्रदर्शनकारियों को डर है कि सेना चीजों को कंट्रोल करने के लिए कड़े कदम उठा सकती है। 2019 के लोकतांत्रिक आंदोलन में आम लोगों ने 30 साल से शासन कर रहे अल-बशीर को हटाने में सफल रहे थे लेकिन यह जीत पूरी नहीं थी। क्योंकि आंदोलनकारी सेना को राजनीति से पूरी तरह हटाने में असफल रहे थे।

1989 में तख्तापलट कर अल-बशीर को सेना और इस्लामवादियों का समर्थन हासिल था। महीनों तक चले विरोध-प्रदर्शन के बाद सेना ने उसे हटाने का फैसला लिया। बशीर को हटाकर सेना ने सत्ता हथिया ली। प्रदर्शन फिर भी जारी रहा। लोगों ने जनता को सत्ता सौंपने को लेकर आंदोलन शुरू किया। मामला हिंसक हो गया।सेना की कारवाई में 100 से अधिक लोग मारे गए। हजारों लोग घायल हुए और सेना ने दर्जनों महिलाओं के साथ बलात्कार किया। अंत में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। दोनों पक्षों की सहमति से हमदोक को चुनाव से पहले तक के लिए पीएम बनाया गया। अभी सैन्य और नागरिक शासन के समर्थकों के बीच महीनों से जारी तनाव के बीच यह तख्तापलट हुआ है।

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