शराब ही नहीं ये खराब आदतें भी बनती हैं फैटी लीवर की वजह, हो जाएं सतर्क

Fatty Liver Disease: अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो यह समझते हैं कि शराब न पीने से वो कभी फैटी लीवर के शिकार नहीं हो सकते तो आप गलत हैं। जी हां आजकल तनाव और खान-पान की गलत आदतों की वजह से ज्यादातर लोग फैटी लीवर के शिकार हो रहे हैं। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में लीवर अहम भूमिका निभाता है। शरीर के लिए प्रोटीन का निर्माण, पाचन के लिए पित्त का उप्तादन करना, पोषक तत्वों को ऊर्जा में बदलने के साथ प्रतिरक्षा कारकों को बनाने और बैक्टीरिया व विषाक्त पदार्थों को खून से निकालकर संक्रमण से लडने में भी लिवर मदद करता है। शरीर का इतना जरूरी अंग होने के बावजूद थोड़ी सी लापरवाही आपको फैटी लीवर का शिकार बना सकती है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर फैटी लीवर क्या है और इसके होने के पीछे क्या कारण और बचाव के उपाय हैं।

क्या है फैटी लीवर-
फैटी लिवर का अर्थ है लिवर में अतिरिक्त फैट का जमा होना। जिसके बढ़ने पर यह लिवर फेलियर या लिवर सिरोसिस का कारण भी बन सकता है। फैटी लिवर की समस्या जिन भी लोगों में देखी जाती है, उन्हें अक्सर पेट से जुड़ी कोई ना कोई समस्या परेशान करती रहती है। उदाहरण-कई बार थोड़ा-सा खाने पर भी उन्हें लगता है जैसे उन्होंने ओवर ईटिंग कर ली हो वहीं कई बार अपनी डाइट से बहुत ज्यादा खाने पर भी उन्हें अपने पेट के भरे होने का अहसास नहीं होता है।

फैटी लिवर के कारण

-मोटापा या अधिक वजन होना
-दवाओं का सेवन
-जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन
-खराब डाइट
-टाइप- 2 डायबिटीज का होना
-मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम होने पर
– अनुवांशिक
-पोस्ट मेनोपॉज से गुजर रही महिला को
-जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत रहती है, उन्हें यह समस्या हो सकती है।
-ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से ग्रसित लोगों को भी यह समस्या हो सकती है।

फैटी लिवर के लक्षण
-जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है, उन्हें अक्सर थकान बनी रहती है और शरीर में कमजोरी रहती है।
-फैटी लिवर के रोगियों का वजन तेजी से घट सकता है और भूख कम हो जाती है। पेट में दर्द बना रह सकता है या अक्सर पेट दर्द की समस्या होने लगती है।
-शरीर में पीलिया के लक्षण दिखने लगते हैं जैसे त्वचा का रंग और आंखों में पीलापन दिखने लगता है।

 

कितने तरह का होता है फैटी लीवर
फैटी लीवर दो तरह का होता है-एल्कोहॉलिक और नॉन-एल्कोहॉलिक। आइए जानते हैं क्या है इनमें फर्क-

अल्कोहॉलिक फैटी लीवर-
इस रोग के बारे में इसके नाम से ही पता चल जाता है। यह रोग जरूरत से ज्यादा शराब पीने से या फिर खराब गुणवत्ता वाली शराब पीने से होता है। जो लोग जरूरत से ज्यादा शराब पीते हैं, उनके लिवर में सिकुडन आ जाती है।

नॉन- अल्कोहॉलिक फैटी लिवर –

उन लोगों को होता है,जो भारी मात्रा में शराब तो नहीं पीते हैं लेकिन उन्हें ये जेनेटिक कारणों से या फिर गलत लाइफस्टाइल के कारण भी हो सकती है। कहा जाता है कि मोटाप और मधुमेह इस जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर आप इस बीमारी को रोक सकते हैं।

 

न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कत्याल ( Varun Katyal, Nutritionist And Wellness Expert) के अनुसार सामान्य तौर पर, फैटी लीवर रोग से बचे रहने के लिए अपनी डाइट में ताजा फल और सब्जियां, फाइबर से भरपूर चीजें फलियां और साबुत अनाज को शामिल करें। इसके अलावा चीनी, नमक, ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैट का सेवन कम करें। शराब से परहेज करें। इसके अलावा कम वसा, कैलोरी वाला आहार आपके वजन को कम करके फैटी लीवर के जोखिम को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

फैटी लीवर से बचाव-
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि फैटी लिवर से बचे रहने के लिए व्यक्ति को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

-शरब से परहेज करें।
-थायराइड और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें
-वजन घटाएं
-डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवा लें
-नियमित रूप से व्यायाम करें या फिर अपनी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं

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