Health Tips: किडनी सेहत के लिए सुधारें अपनी आदतें

क्रॉनिक किडनी डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक आकलन के अनुसार, देश में प्रत्येक एक लाख लोगों में से 18 की मौत किडनी संबंधी रोगों से हो रही है। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच और अपनाकर इस घातक रोग से बचा जा सकता है, जानें राजलक्ष्मी त्रिपाठी से.

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनीत नारंग के अनुसार, किडनी में गड़बड़ी आने पर शरीर में खून को साफ करने और अतिरिक्त पानी निकालने की क्षमता कम हो जाती है। शुरुआत में किडनी के रोगों के लक्षण नजर नहीं आते। इसकी वजह से पेट में दर्द और बेचैनी की समस्या बनी रहती है। शरीर में जहरीले तत्वों और तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ने लगती है। किडनी की गड़बड़ी के कारण कमजोरी, नींद नहीं आना, सांस लेने में दिक्कत होना और शरीर में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 

किन्हें है अधिक खतरा 

  • 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को 
  • जन्म के समय कम वजन वाले लोगों को 
  • परिवार में कार्डियोवैस्कुलर और उच्च रक्तचाप रोगों का इतिहास होने पर 
  • अधिक वजन वाले लोगों को 

जरूरी हैं ये जांच 
अगर पेशाब के रंग में कोई बदलाव नजर आए या फिर हाथ और पैरों में अचानक से दर्द की शिकायत होने लगे, तो डॉक्टर यूरिक एसिड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इससे यह पता चलेगा कि खून और पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा कितनी है। अगर यूरिक एसिड किडनी से ठीक तरह से पास नहीं हो रहा है तो शरीर के जोड़ों में क्रिस्टल जमा होना इसकी वजह हो सकता है। 

फॉस्फोरस सीरम टेस्ट, शरीर में मौजूद फॅास्फोरस के स्तर की जांच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट क्रॉनिक किडनी डिजीज की अवस्था में किडनी फेल्योर की स्थिति के साथ शरीर में कैल्शियम की कमी की जांच के लिए भी किया जाता है। 

क्रिएटिनिन टेस्ट से पता चलता है कि किडनी शरीर में रक्त से अवशिष्ट पदार्थ क्रिएटिनिन को ठीक तरह से फिल्टर कर पा रही है या नहीं। आमतौर पर यह टेस्ट बीयूएन टेस्ट, बीएमपी टेस्ट या सीएमपी टेस्ट के साथ किया जाता है। 

शराब और सिगरेट से बनाएं दूरी 
शराब और सिगरेट का ज्यादा सेवन किडनी पर बुरा असर डालता है। शरीर में रक्त संचार कम होने लगता है। ब्लड क्लॉटिंग की आशंका बढ़ जाती है। ज्यादा अल्कोहल किडनी की रक्त साफ करने की क्षमता कम करता है। साथ ही शरीर में पानी की कमी भी होने लगती है, जिसका किडनी समेत पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। 

ब्लड प्रेशर को रखें नियंत्रित 
अगर रक्तचाप लगातार 140/90 बना रहता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह हाइपरटेंसिव स्थिति है। रक्तचाप काबू रखने के लिए डॉक्टर की सलाह लें। बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर दिल का ही नहीं, किडनी की सेहत का भी दुश्मन है।

नियमित व्यायाम है जरूरी 
व्यायाम से शरीर को स्थिरता मिलती है और शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है और टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। इसलिए अपनी दिनचर्या में योग, ध्यान के साथ सैर करना, तैराकी, साइकिल चलाना, एरोबिक्स अिाद को शामिल करें। 

डॉक्टर की सलाह से ही लें दवा 
अगर सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द या अन्य किसी किस्म का दर्द होने पर यूं ही कोई भी दवा लेने की आदत है तो इस पर विराम लगाएं। दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक के सेवन से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। 

गहरी नींद है जरूरी 
नींद की कमी किडनी की सेहत पर बुरा असर डालती है। देर रात तक टीवी, फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें। अनिद्रा से सिर तो भारी रहता ही है, ब्लड प्रेशर भी अनियंत्रित होने लगता है। डायबिटीज की आशंका भी बढ़ सकती है। ये सब किडनी पर बुरा असर डालते हैं। 

न रोकें पेशाब को 
किडनी शरीर से बेकार पदार्थों को बाहर निकालती है। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो अतिरिक्त तरल पदार्थ यूरिनरी ब्लेडर में जमा हो जाता है। पेशाब को देर तक रोके रखने पर शरीर में जमा टॉक्सिन वापस खून में पहुंचने लगते हैं। इससे पथरी होने की आशंका भी बढ़ती है। इसलिए पेशाब को नहीं रोके। 

समस्या बढ़ने पर 
जब किडनी शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है, तब शरीर से अतिरिक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए डायलिसिस किया जाता है। अगर उसके बाद भी समस्या बनी रहती है, तब किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प बचता है। इसके लिए ऐसे डोनर की जरूरत होती है, जिसकी दोनों किडनी ठीक हों और मरीज से मेल खाती हों।


खान-पान का रखें ध्यान 
अगर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो खान-पान का खास ध्यान रखना जरूरी है। ये दोनों समस्याएं किडनी की सेहत पर भी असर डाल सकती हैं। प्रोसेस्ड और जंक फूड से परहेज करें। आहार में मौसमी फल और सब्जियां, फाइबर और प्रोटीनयुक्त चीजें शामिल करें। तरल पेय पदार्थ अधिक लें। डिब्बाबंद जूस और अन्य चीजों की बजाय नीबू-पानी, लस्सी, छाछ और नारियल पानी पिएं। पानी की कमी न होने दें। किडनी ठीक रखने व पेशाब के संक्रमण ‘यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन’ से बचने के लिए पर्याप्त पानी पिएं।

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