कोरोना कितना खरतनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार किसी शख्स को हो गया तो उसका शरीर महीनों तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझता रहता है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि चीन के शहर वुहान में अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना मरीजों में से आधे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देखी गईं हैं। यहां इलाज के एक साल बाद भी सांस की कमी और थकान की शिकायत आई है। एक साल के लंबे अध्ययन में यह पाया गया कि 2020 में चीनी शहर वुहान में कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले लगभग आधे रोगियों को उनके डिस्चार्ज के 12 महीने बाद मांसपेशियों में थकान, सांस लेने में तकलीफ और अवसाद सहित स्वास्थ्य समस्याएं थीं।
मेडिकल जर्नल लैंसेट में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि कुल मिलाकर, कोरोना से ठीक होने होने के एक साल बाद उनका स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में कमजोर पाया गया, जो इस खतरनाक वायरस से संक्रमित नहीं थे। ठीक हो चुके मरीजों पर किए गए अध्ययन में कुछ रोगियों में कोविड-19 के लंबे प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है, जो कभी-कभी महीनों तक रहता है। हालांकि, अधिकांश पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
इस स्टडी को बीजिंग और वुहान के चीनी वैज्ञानिकों ने किया है। अध्ययन में जनवरी और मई 2020 के बीच छह और 12 महीनों में वुहान के जिन यिन-टैन अस्पताल में इलाज किए गए 1276 कोरोना रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों का आकलन किया। बता दें कि अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से अब तक दुनिया भर में 4.47 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 214 मिलियन लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
स्टडी में कहा गया है कि अधिकांश लक्षण 12 महीनों में ठीक हो गए थे, मगर बचे लोगों में से लगभग आधे ने अभी भी कम से कम एक चल रहे लक्षण (सबसे अधिक थकान या मांसपेशियों में कमजोरी) का अनुभव किया था, और तीन में से एक रोगी को अभी भी सांस की तकलीफ का अनुभव हुआ था। लगभग तीन में से एक कोरोना मरीज ने सांस की तकलीफ का अनुभव किया, जबकि कुछ रोगियों में फेफड़ों की शिकायत बनी रही, विशेष रूप से उन लोगों में, जिन्हें गंभीर कोरोना हुआ था।