लोकसभा ने बहुप्रतिक्षित विवाद से विश्वास बिल, 2020 को पास कर दिया है। बुधवार को बजट सत्र के दौरान इस बिल के पास हो जाने से अब डायरेक्ट टैक्स से जुड़े विवादों का निपटान आसान हो जाएगा। यह योजना टैक्स अधिकारियों के वार्षिक प्रदर्शन के मूल्यांकन का आधार भी बनेगी। बता दें प्रत्यक्ष कर विवाद के मामलों को निपटाने के लिए आम बजट में विवाद से विश्वास योजना पेश की गई थी।
21 फरवरी की एक सूचना में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी CBDT ने कहा था कि अधिकारियों के अप्रेजल और पोस्टिंग में विवाद से विश्वास योजना के तहत उनके प्रदर्शन की एक बड़ी भूमिका होगी। बोर्ड के अनुसार, इससे टैक्स अधिकारी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2 मार्च को डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 पेश किया था, इसे आज लोकसभा ने पास कर दिया। इस मुद्दे पर विपक्ष विरोध जताता रहा और तत्काल चर्चा की मांग भी की।
किसे कितना होगा फायदा समझे यहां
बिल के अनुसार, 31 जनवरी 2020 तक जो मामले कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे, उन मामलों पर यह योजना लागू होगी। लंबित अपील टैक्स विवाद, पेनाल्टी या ब्याज से जुड़ी हो सकती है और यह एसेसमेंट या रीएसेसमेंट से भी जुड़ा हो सकता है। इसमें TDS और TCS से जुड़े मामलों को भी शामिल किया जाएगा और नोटबंदी के समय के मामले भी इसमें शामिल होंगे। हालांकि 31 मार्च, 2020 तक बकाया टैक्स की पूरी रकम जमा करानी होगी। 30 जून, 2020 तक टैक्स भुगतान करने पर बकाया टैक्स के साथ ही 10 प्रतिशत रकम या टैक्स का ब्याज और जुर्माना या इनमें से जो भी रकम कम हो। मान लिजिए आप पर 20 हजार रुपये टैक्स बकाया है, तो 31 मार्च तक आप इतनी रकम जमाकर मामला खत्म कर सकते हैं। 31 मार्च के बाद 30 जून तक 20 हजार के साथ ही 2000 रुपये एक्स्ट्रा देने होंगे। अब इसमें ब्याज और जुर्माना 2000 रुपये से जो कम हो, वो देनी होगी।
अगर ब्याज और पेनल्टी बकाया है, तो…
अगर ब्याज और पेनल्टी बकाया है, तो 31 मार्च, 2020 तक 25 प्रतिशत रकम देकर केस खत्म कर सकते हैं। 31 मार्च के बाद 30 जून तक ब्याज और पेनल्टी का 30 प्रतिशत भुगतान करना होगा। इनकम टैक्स छापे के मामले में 31 मार्च तक बकाया टैक्स के साथ 25 प्रतिशत अतिरिक्त रकम देनी होगी। 30 जून तक टैक्स के साथ ही 35 प्रतिशत एक्स्ट्रा रकम देनी होगी। अगर अपीलैट ट्रिब्यूनल में फैसला करदाता के पक्ष में आ चुका है, तो उसे केवल 50 फीसदी ही रकम देनी होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी थी मंजूरी
बता दें इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 में बदलाव को मंजूरी दे दी थी। इस बदलाव का उद्देश्य विधेयक का दायरा बढ़ाकर उन कर विवादों को भी इसके दायरे में लाना है, जो विभिन्न कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित हैं। वहीं इसके बाद अधिकारियों ने कहा था कि वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये प्रभारी सीबीडीटी सदस्य सभी क्षेत्रीय प्रमुखों के साथ बातचीत करेंगे। उसने कहा कि बातचीत के एजेंडे में उच्च न्यायालयों और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी) में लंबित मामलों की समीक्षा शामिल हैं। यह पहल विवाद से विश्वास योजना के तहत की जा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश बजट में प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ की घोषणा की। योजना के तहत करदाताओं को विवादित लंबित कर के भुगतान का अवसर दिया गया है। योजना के तहत 31 मार्च 2020 से पहले बकाए कर का भुगतान करने वाले करदाताओं को ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह छूट मिलेगी। इसके बाद योजना के तहत भुगतान करने पर बकाया कर देनदारी के साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त विवादित कर का भुगतान करना होगा।