पेट्रोल-डीजल आने वाले दिनों में सस्ते हो सकते हैं। नहीं, नहीं। केंद्र सरकार या राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर वसूल रहीं अपने टैक्स में न तो कोई कटौती करने जा रही हैं और न ही ईंधन की कीमतें जीएसटी के दायरें में आने जा रही हैं, इसके बावजूद अगस्त में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिल सकती है। बता दें बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल सोमवार दोपहर तक 72.62 डॉलर प्रति बैरल पर के भाव पर चल रहा था।
दरअसल पांच ओपेक/गैर ओपेक देश कच्चे तेल का उत्पादन अगस्त से बढ़ाएंगे। ओपेक और संबद्ध देशों के बीच रविवार को एक पूर्ण सहमति बन गई। इससे पहले इन देशों के बीच विवाद से तेल की कीमतें प्रभावित हुई थीं। तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन और उसके साथी उत्पादक देशों की की ऑनलाइन बैठक के बाद रविवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि इराक, कुवैत, रुस, सऊदी अरब और यूएई के तेल उत्पादन की सीमा बढ़ेगी। रूस ओपक का सहयोगी है।
हर माह दैनिक 4,00,000 बैरल की बढ़ोतरी होगी
ओपेक देशों ने कहा कि अगस्त से उसके उत्पादन में हर माह दैनिक 4,00,000 बैरल की बढ़ोतरी की जाएगी और इस तरह इस समय लागू 58 लाख बैरल/दैनिक की कटौती धीरे धीरे 2022 के अंत तक समाप्त हो जाएगी। ऑनलाइन बैठक के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के ऊर्जा मंत्री सुहैल-अल-मजरूई ने पत्रकारों को एक (पूण सहमति) बनने की जानकारी दी थी। हालांकि, उन्होंने तत्काल इसका ब्योरा नहीं दिया था, लेकिन सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री शहजादा अब्दुलअजीज बिन सलमान ने यह जरूर कहा कि समूह के बीच उत्पादन सीमा को लेकर समायोजन होगा।
बाद में ओपेक के बयान में पांच देशों का उत्पादन स्तर बढ़ाने पर सहमति की जानकारी दी गयी। नई निर्धारित उत्पादन सीमाओं के अतर्गत यूएई मई 2022 से प्रति दिन 35 लाख बैरल का उत्पादन कर सकेगा। खबरों के अनुसार यूएई पहले अपने लिए 38 लाख बैरल/ दैनिक उत्पादन की सीमा की मांग कर रहा था। इसी तरह सऊदी अरब की दैनिक उत्पादन सीमा 1.10 करोड़ बैरल से बढ़ कर 1.15 करोड़ बैरल हो जाएगी। रूस की भी उत्पादन सीमा इतनी ही रहेगी।
इराक और कुवैत की दैनिक उत्पादन सीमा में बढ़ोतरी इससे कुछ कम रहेगी। ओपेक के बयान में यह स्वीकार किया गया है कि तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। उसने कहा है कि ‘दुनिया के अधिकतर हिस्सों में टीकाकरण कार्यक्रम तेज होने से आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है। इससे पहले इसी महीने उत्पादन को लेकर बातचीत टूट गई थी, क्योंकि यूएई अपना खुद का उत्पादन स्तर बढ़ाना चाहता था। इससे यूएई तथा सऊदी अरब के बीच तनाव बढ़ गया था।
अल मजरूई ने कहा, ”यूएई इस समूह के प्रति प्रतिबद्ध है और हमेशा उसके साथ काम करेगा। हम बाजार संतुलन और सबकी मदद के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे। सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री शहजादा अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान ने कहा, ”हमारे संबंध आप की कल्पना से कहीं अधिक बढ़ कर हैं, लेकिन वह यह बताने को तैयार नहीं हुए कि यह सहमति किस तरह बनी।
उन्होंने कहा, ‘यह बता देने से इस इस गठजोड़ को रहस्य और चतुराई के कारण मिलने वाला लाभ खत्म हो जाएगा। कोरोना वायरस महामारी के बीच जेट ईंधन तथा वाहन ईंधन की मांग घटने से कच्चे तेल की कीमतों में जबर्दस्त गिरावट आई थी। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में टीकाकरण की रफ्तार तेज होने के बाद मांग में सुधार हुआ है।
उत्पादन में कटौती से चढ़ते हैं दाम
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है और अपनी जरूरत का 85% आयात करता है। जाहिर है तेल की कीमत में कोई भी गिरावट उसके आयात बिल को कम करेगा। अगर सराकारों ने अपने टैक्स नहीं बढ़ाए तो पेट्रोल-डीजल के दाम घटने लगेंगे। पिछली बार साल 2014 से 2016 के बीच कच्चे तेल के दाम तेजी से गिर रहे थे तो सरकार इसका फायदा आम लोगों को देने के बजाय एक्साइज ड्यूटी के रूप में पेट्रोल-डीजल के जरिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूल कर अपना खजाना भरने में लगी रही। 1 जुलाई के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल पर 33.29 फीसद केंद्र तो 23.07 फीसद राज्य सरकार का टैक्स है। ऐसे ही डीजल पर एक्साईज ड्यूटी के रूप में केंद्र सरकार 35.66 फीसद से अधिक टैक्स वसूलती है, जबकि राज्य सरकार करीब 14.62 फीसद टैक्स लगाती है।
बता दें साल 2016 में कच्चे तेल के भाव 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए थे। बाजार को उठाने के लिए गठबंधन ने रूस जैसे बड़े देश का सहारा लिया। ओपेक और रूस जैसे उसके सहयोगियों ने 2020 में कच्चे तेल के दैनिक उत्पादन में एक करोड़ बैरल की रिकॉर्ड कटौती की सहमति बनाई ताकि दाम चढ़ सके। उसके बाद धीरे धीरे 42 लाख बैरल उत्पादन बढ़ा कर कटौती हल्की कर दी गयी। अभी 58 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती लागू है।
इनपुट: भाषा