बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि स्वाथीर् और संकीर्ण मानसिकता वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ कोई बड़ा दल गठबंधन करने की सोच भी नहीं सकता।
मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट किया “ समाजवादी पार्टी की घोर स्वार्थी, संकीर्ण व ख़ासकर दलित विरोधी सोच एवं कार्यशैली आदि के कड़वे अनुभवों तथा इसकी भुक्तभोगी होने के कारण देश की अधिकतर बड़ी व प्रमुख पार्टियां चुनाव में इनसे किनारा करना ही ज़्यादा बेहतर समझती हैं, जो सर्वविदित है।”
उन्होंने कहा कि इसीलिए आगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव अब यह पार्टी किसी भी बड़ी पार्टी के साथ नहीं बल्कि छोटी पार्टियों के गठबंधन के सहारे ही लड़ेगी। ऐसा कहना व करना सपा की महालाचारी नहीं है तो और क्या है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में एक दूसरे की धुर विरोधी सपा और बसपा ने वर्ष 2०19 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पाटीर् (भाजपा) को दोबारा सत्ता में आने के लिये मिल कर चुनाव लड़ा था हालांकि दोनो ही दलों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। प्रदेश की 80 सीटों में 62 पर भाजपा की जीत हुयी थी जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी। 2014 के चुनाव में खाता खोलने से मायूस बसपा को हालांकि सपा का साथ मिलने से दस सीटों का फायदा हुआ था वहीं सपा पांच सीटों पर सिमट गयी थी। चुनाव के बाद बसपा प्रमुख ने हार की ठीकरा सपा नेतृत्व पर फोड़ते हुये आरोपों की झड़ी लगा दी थी जिसके बाद यह गठबंधन टूट गया था।