जॉब इंटरव्यू हुआ, दो समान शैक्षणिक योग्यता वाले उम्मीदवारों में से किसी एक को सफलता मिली। ऐसा इसलिए, क्योंकि उम्मीदवार के कार्य आदर्श भी चयन में बड़ी भूमिका निभाते हैं। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के आलेख ‘हायर फॉर एटिट्यूड एंड ट्रेन फॉर स्किल्स’ लेख में यह बताया गया कि आपके कार्य मूल्यों की भूमिका आपके आगे के प्रदर्शन में अहम होती है। निजी कंपनियां साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवार में यह देखती हैं कि उनमें किसी काम को करने में समय कीपाबंदी है कि नहीं। इंग्लैंड में हुए एक सर्वे में पाया गया था कि देर से आने वाले कर्मचारियों की वजह से इकोनॉमी को 9 अरब यूरो का घाटा हो रहा था। यह दरअसल अच्छे टाइम मैनेजमेंट की बात भी है। यह प्रवृत्ति आपको एक व्यवस्थित और विश्वसनीय कर्मचारी के तौर पर भी स्थापित करती है।
चाहे भारतीय कंपनी हो या बहुराष्ट्रीय कंपनी, अपने काम में मेहनत दिखाने वाला उम्मीदवार ही कंपनी के लक्ष्यों में बराबर योगदान दे पाएगा। इसीलिए मेहनत के आदर्श को बहुत काम का माना जाता है। टीम में समायोजन की क्षमता भी अपेक्षित होती है। इसी तरह एक उम्मीदवार में उसकी भावी कंपनी के लिए कितना विश्वास है, यह भी देखा जाता है। यह विश्वास उसकी भावी कंपनी के प्रति निष्ठा के रूप में जाहिर होता है। इसको समझने के लिए आमतौर पर कंपनियां साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवार का अगर पूर्व में कार्यानुभव रहा है, तो उससे कार्यस्थल से सम्बंधित किसी परिस्थिति का विश्लेषण कराते हैं। अगर उम्मीदवार बिल्कुल नया होता है, जिसे कोई कार्यानुभव नहीं है, तो उसे अपने जीवन की किसी वैसी परिस्थिति का विश्लेषण करने को कहा जाता है, जहां उसकी निष्ठा और चारित्रिक ईमानदारी को परखा जा सके।
एक इंटरव्यू में यह भी देखा जाता है कि उम्मीदवार में सीखने की चाह कितनी है। इसके पीछे सोच यही होती है कि किसी उम्मीदवार को अपेक्षित कौशल का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। लेकिन जिस उम्मीदवार में सीखने की चाह नहीं है, उसे प्रशिक्षित करना कठिन होता है और उससे कंपनी के लिए योगदान लेना भी मुश्किल काम होगा।
(लेखक जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नोएडा में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)
कैसे निखारे अपने वर्क वैल्यूज
यह तय करें कि आपको अपनी नौकरी में क्या चाहिए- पैसा, स्वायत्तता या फिर कोई अच्छा उद्देश्य? जिस कंपनी में आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, वहां के वर्क कल्चर के बारे में जानकारी लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी करें।
इंडस्ट्री की मानें, तो आज ऐसे युवाओं का मिलना आसान है, जिनमें ज्ञान या कौशल की कमी नहीं। लेकिन उनमें अपेक्षित वर्क वैल्यूज पाना मुश्किल हो रहा है। एक महत्त्वपूर्ण अध्ययन में 20 हजार नए नियुक्त कर्मियों के आकड़ों को जब देखा गया, तो पाया गया कि 47 प्रतिशत लोग शुरुआती 18 महीनों में ही नौकरी में असफल साबित हुए और उनमें से 89 प्रतिशत ऐसे थे, जिनमें अपेक्षित कार्य मूल्यों का अभाव था। निश्चित रूप से सिर्फ व्यावसायिक डिग्री- जैसे इंजीनियरिंग, एमबीए, एमसीए, फैशन डिजाइनिंग, होटल मैनेजमेंट आदि पर ही सफलता के लिए निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके साथ ही युवाओं को बेहतर कार्य मूल्यों का भी प्रदर्शन करना होगा। इस बारे में करियर मेंटोर या करियर कोचेज की मदद भी ले सकते हैं।