अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का हिस्सा रहे कतर के एक राजनयिक ने दावा किया है कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबान से वार्ता की थी। आतंकवाद पर रोक और विवादित मसलों के निपटारों पर कतर के विदेश मंत्री के स्पेशल दूत मुतलक बिन मजीद अल-कहतानी ने यह दावा किया है। एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहतानी ने कहा कि मुझे लगता है कि भारतीय अधिकारियों ने अफगानिस्तान में तालिबान से भी बात कही थी। तालिबान को अफगानिस्तान में भविष्य में बनने वाली किसी भी सरकार के लिए अहम हिस्सा माना जा रहा है। बता दें कि हिंदुस्तान टाइम्स ने सबसे पहले 8 जून को अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत ने अफगान तालिबान के एक गुट से बातचीत शुरू की है।
भारतीय अधिकारियों ने तालिबान के जिन लोगों से बात की है, उनमें मुल्ला अब्दुल गनी बारादर भी शामिल है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच भारत की यह पहल अहम है। यह कदम भारत की विदेश नीति में भी एक बड़े बदलाव का संकेत है। अब तक भारत की ओर से तालिबान से किसी भी तरह की बातचीत से इनकार किया जाता रहा है। अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को लेकर आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए अल-कहतानी ने भारत के एक पत्रकार के सवाल के जवाब में यह बात कही। कहतानी से पत्रकार ने सवाल पूछा था कि आखिर अफगानिस्तान को लेकर भारत की भूमिका के बारे में वह क्या सोचते हैं।
अल-कहतानी ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि भारतीय अधिकारियों ने कई बार तालिबान से बातचीत का प्रयास किया है। क्यों? इसलिए क्योंकि हर कोई यह नहीं मानता कि तालिबान अफगानिस्तान में टेकओवर कर लेगा और उस पर शासन करेगा। लेकिन वह भविष्य में भी अफगानिस्तान की सत्ता व्यवस्था का एक अहम हिस्सा रहने वाला है।’ अल-कहतानी ने कहा कि शायद यही वजह है कि भारत की ओर से तालिबान के साथ बातचीत का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि इस समय हम बेहद अहम मोड़ पर हैं और यदि कोई भी मीटिंग होती है तो वह किसी भी समस्या के हल के लिए ही होनी चाहिए।