दुनियाभर में कोरोना महामारी फैलाने और उसकी जांच पर पर्दा डालने में जुटे चीन की एक और भयंकर लापरवाही सामने आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के न्यूक्लियर पावर प्लांट में लीकेज की जानकारी मिली है। अब अमेरिकी सरकार बीते एक हफ्ते से इस रिपोर्ट को लेकर अध्ययन में जुटी हुई है। दरअसल, चीनी न्यूक्लियर पावर प्लांट में फ्रांस की एक कंपनी भी हिस्सेदार थी। इसी कंपनी ने लीकेज के कारण संभावित रेडियोलॉजिकल खतरे को लेकर चेतावनी दी थी।
अमेरिकी अधिकारियों से मिली जानकारी और मामले से संबंधित दस्तावेजों को देखने के बाद ‘सीएनएन’ ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है। फ्रेंच कंपनी ने यह भी बताया कि चीन के गुआंगदोंग प्रांत में मौजूद यह न्यूक्लियर पावर प्लांट कहीं बंद न हो जाए, इससे पहले ही चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने इसके बाहर विकिरण की स्वीकार्य सीमा को बढ़ा दिया है। दरअसल, फ्रेंच कंपनी ने इस संबंध में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी को चिट्ठी लिखी है।
फ्रांस की कंपनी Framatome की ओर से मिली इस चिट्ठी के बावजूद बाइडेन प्रशासन को फिलहाल यह लग रहा है कि न्यूक्लियर प्लांट में स्थिति अभी नियंत्रित है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा स्थिति प्लांट में काम करने वालों और चीनी नागरिकों के लिए खतरा नहीं पैदा कर रही है। हालांकि, यह अपने आप में अजीब है कि एक विदेशी कंपनी अमेरिकी सरकार से मदद मांग रही है जबकि उसके चीनी पार्टनर को इस समस्या के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है। फ्रांस की कंपनी के साथ चीन ने साल 2009 में ताइशन प्लांट का निर्माण शुरू किया था, जिसके बाद साल 2018 और 2019 में यहां बिजली उत्पादन शुरू हुआ था।
बहरहाल, स्थिति खतरनाक भले न हो लेकिन यह मामला चिंताजनक तो है ही। अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने बीते हफ्ते इस मसले पर लगातार बैठकें कीं। इसके अलावा बाइडेन प्रशासन ने स्थिति को लेकर फ्रांस की सरकार और ऊर्जा विभाग में उनके अपने एक्सपर्ट्स से चर्चा की है।
चीन ने अपने परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को हाल के सालों में बढ़ाया है। देश में पैदा हो रही बिजली में 5 फीसदी हिस्सेदारी परमाणु ऊर्जा की है। चीन के न्यूक्लियर एनर्जी एसोसिएशन के मुताबिक, मौजूदा समय में देश में 16 न्यूक्लियर प्लांट काम कर रहे हैं, जिनसे 51 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। चीन के गुआंगदोंग प्रांत के ताइशन में कुल 9 लाख 50 हजार की आबादी है।
खबर के मुताबिक, अमेरिका इस मुद्दे को लेकर चीन की सरकार के भी संपर्क में है, हालांकि अभी तक दोनों देशों के बीच कितनी बात हुई है, यह स्पष्ट नहीं है। बता दें कि फ्रेंच कंपनी ने यह चिट्ठी ऐसे वक्त लिखी है जब अमेरिका और चीन के बीच टकराव चरम पर है। रविवार को ही संपन्न हुए जी-7 देशों की बैठक में भी चीन को लेकर अहम चर्चा हुई।