कुछ निर्देशक ये मानते हैं कि फिल्म में वर्ल्ड क्लास एक्शन डाल दो, फिर कहानी कमजोर हो, पटकथा लचर हो, तो कोई फर्क नहीं पड़ता। अहमद खान ऐसे ही निर्देशक हैं। कुछ कलाकार मानते हैं कि अभिनय में क्या मेहनत करनी है, एक्शन तो जोरदार आता है न, डांस में परफेक्ट हूं न। टाइगर श्रॉफ ऐसे ही कलाकार हैं। संयोग से दोनों की गाड़ी ठीक चल रही है, तो उनकी धारणा को बल भी मिलता है।
इन्हीं दोनों की फिल्म है ‘बागी 3’। ‘बागी’ सिरीज की तीसरी किश्त। ‘बागी’ हिट रही थी और ‘बागी 2’ सुपरहिट। इसने करीब 165 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। इसीलिए ‘बागी 3’ भी बनी। अगर ये फिल्म भी हिट रही, जिसकी पूरी संभावना दिखती है, तो बहुत मुमकिन है कि ‘बागी 4’ भी आए। फिल्म में टाइगर श्रॉफ एक संवाद बोलते हैं, ‘मैं हमेशा बागी रहूंगा’, जिससे इसका सीक्वल बनने की पूरी गुंजाइश नजर आती है। ‘बागी’ में टाइगर एक बाहुबली से लड़े थे, ‘बागी 2’ ड्रग तस्करों के एक बड़े और शातिर सरगना से लड़े थे। ‘बागी 3’ में तो वे आईएस जैसे एक दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन से अकेले भिड़ गए। अगर ‘बागी 4’ बनी, तो शायद वे किसी देश से ही अकेले भिड़ जाएं।
बहरहाल, ये कहानी है दो भाइयों रोनी (टाइगर श्रॉफ) और विक्रम (रितेश देशमुख) की। छोटा रोनी हमेशा अपने बड़े भाई विक्रम की रक्षा करता है। उनके पिता चरण चतुर्वेदी (जैकी श्रॉफ) पुलिस अफसर हैं। वह दंगे के दौरान अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मारे जाते हैं। मरते वक्त वह रोनी से वचन लेते हैं कि वह बड़े भाई विक्रम का हाथ नहीं छोड़ेगा। विक्रम पुलिस अफसर बन जाता है और एक दिन शहर के डॉन आईपीएल भाई (जयदीप अहलावत) से टकरा जाता है। इसी बीच विक्रम की शादी रुचि (अंकिता लोखंडे) से हो जाती है और रोनी को उसकी छोटी बहन सिया (श्रद्धा कपूर) से प्यार हो जाता है।
विक्रम काम के सिलसिले में सीरिया जाता है और वहां ‘जैश-ए-लश्कर’ के सरगना अबू जलाल (जमील खौरी) के लोग उसका अपहरण कर लेते हैं। रोनी अपने भाई को बचाने के लिए सिया के साथ सीरिया पहुंच जाता है। वहां उसकी मुलाकात एक पाकिस्तानी जेबकतरे (विजय वर्मा) से होती है। वह रोनी की मदद करता है…
इस फिल्म में कहानी बस एक्शन को सपोर्ट करने के लिए है। उसमें कोई दम नहीं है। पटकथा एकदम लचर है और ज्यादातर बातें बिना किसी सिर-पैर की हैं। अगर आप समझने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ, ऐसा कैसे हो सकता है! तो सिर चकरा जाएगा। आप बस एक्शन का मजा लीजिए, क्योंकि इस फिल्म में वही मुख्य चीज है और वर्ल्ड क्लास का है। टाइगर पहले भी साबित कर चुके हैं कि वह एक्शन में बेजोड़ हैं, पर इस फिल्म से उन्होंने यह भी जता दिया है कि बॉलीवुड में उनके जैसा एक्शन अभी शायद ही कोई कर पाए।
फिल्म में ज्यादातर दृश्य अवास्तविक लगते हैं, पर उन दृश्यों को करते हुए टाइगर स्वाभाविक लगते हैं। निश्चित रूप से बतौर एक्शन हीरो, यह उनकी कामयाबी है। पर जब बात इमोशन की आती है, तो वे बिल्कुल कमजोर दिखते हैं। श्रद्धा कपूर के किरदार में जान नहीं है। फिर भी उन्होंने अपना काम ठीक किया है। पहले हाफ में मारधाड़ के बीच उनकी कॉमेडी थोड़ी राहत देती है। रितेश देशमुख का अभिनय ठीक है, पर उनका किरदार ठीक से नहीं लिखा गया है। जयदीप अहलावत का अभिनय अच्छा है। विजय वर्मा भी ठीक रहे हैं। जमील खौरी प्रभावित करते हैं। बाकी कलाकार भी ठीक हैं।
अगर आप एक्शन फिल्मों और टाइगर के प्रशंसक हैं, तो ये फिल्म आपको बहुत पसंद आएगी।