हाल में बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी है। पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में देश की सबसे पुरानी पार्टी का खाता तक नहीं खुला। इसके अलावा असम में भी निराशा ही हाथ लगी है। कांग्रेस पार्टी ने कार्यसमिति की बैठक 10 मई को बुलाई है। इस बैठक में हार की समीक्षा की जाएगी और कारणों का पता लगाया जाएगा।
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी को असम और केरल की सत्ता में वापसी की उम्मीद थी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इसके लिए आक्रमक तरीके से प्रचार भी किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सीटों में कमी हुई है। कांग्रेस को पुडुचेरी में भी सत्ता से हाथ धोना पड़ा।
Congress Working Committee (CWC) to meet on May 10 over Assembly election results and COVID-19 situation
आपको बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान देश में जारी कोरोना संकट को लेकर भी चर्चा होगी।
कपिल सिब्बल ने दी थी कांग्रेस को नसीहत
चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में आने के कुछ दिनों के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी ही पार्टी को नसीहत दी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने अंदर झांकना चाहिए, क्योंकि बंगाल में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली और असम के साथ-साथ केरल में भी पार्टी विफल रही।
सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा था, “हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। यह असम और केरेल में विफल रही। पार्टी पश्चिम बंगाल में एक भी सीट सुरक्षित नहीं कर सकी।” उन्होंने कहा, “अब जब पार्टी की ओर से आवाज उठाई जा रही है, तो इस मामले पर गौर किया जाना चाहिए।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि वह कांग्रेस के प्रदर्शन के मुद्दे पर आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और उचित समय पर इस मुद्दे पर बात करेंगे।
ममता की आंधी में उड़ गई कांग्रेस
बंगाल में सबसे बड़ा झटका वामपंथी दलों और कांग्रेस के गठबंधन को लगा है जिसका खाता तक नहीं खुल सका। राज्य में तीन दशक तक निर्बाध शासन करने वाले वामपंथी दल और दो दशक तक लगातार शासन करने वाली कांग्रेस पहली बार विधानसभा से बाहर होगी। वामपंथी दल और कांग्रेस के गठबंधन का भरभरा कर गिर जाना तृणमूल कांग्रेस के लिए बेहद फायदेमंद हुआ। उसने बड़े आराम से 200 पार का आंकड़ा हासिल किया, जबकि भाजपा तीन अंकों (सौ और आगे) तक भी नहीं पहुंच सकी। कांग्रेस पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज कर पाने में असफल रही।
राहुल ने झोंकी ताकत, फिर भी केरल में नुकसान
2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहां से उन्हें बंपर जीत भी मिली थी। इसके बाद वह लगातार केरल का दौरा करते रहे। इस विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी थी। उन्होंने सबसे ज्यादा समय केरल में ही बिताया था। हालांकि राहुल ने जिस हिसाब से केरल में अपनी ताकत झोंकी, उस हिसाब से पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। 56 विधायकों वाली कांग्रेस चुनाव नतीजे में सिर्फ 40 सीट जीतने में सफल रही।
राहुल-प्रियंका की जोड़ी भी नहीं दिला सकी असम में जीत
असम में चुनाव खत्म होते ही कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट कर दिया था। उन्होंने एक समय लगा था कि वह सत्ता के नजदीक पहुंच सकती है। हालांकि परिणाम कुछ और रहे। असम चुनाव में राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंक गांधी ने काफी चुनाव प्रचार किए। उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए शॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लिया, बावजूद राज्य का सत्ता में वापसी में सफलता नहीं मिली। कांग्रेस पार्टी सत्ता के नजदीक भी नहीं पहुंच सकी। इस चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी को 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। वह 46 से 36 सीटों पर समिटकर रह गई।
पुडुचेरी में 23 से 4 सीट तक का सफर
विधायकों के इस्तीफे के साथ ही चुनावों की घोषणा से ठीक पहले केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस पार्टी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासान लगा दिया था। इस विधआनसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सत्ता से बेदखल होने वाली पार्टी 23 से सीधे 4 सीट पर आकर रुकी है। यह काफी ही निराशाजनक प्रदर्शन है।