केंद्र सरकार जीएसटी की 12 फीसदी और 18 फीसदी की दर को मिलाकर एक दर बनाने के पक्ष में है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक कुछ राज्यों ने इस बाबत मांग की थी और पंद्रहवें वित्त आयोग ने भी इसकी वकालत की है। उम्मीद है कि मार्च में होने वाली जीएसटी काउंसिल की की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। अधिकारी ने यह भी बताया कि इसके अलावा कीमती रत्नों और धातुओं पर 0.25 फीसदी और 3 फीसदी की विशेष दर भी लगाई जा सकती है। भारत में वर्तमान में जीएसटी की चार प्रमुख दरें 5, 12, 18 और 28 फीसदी हैं। लग्जरी और कुछ सामानों जैसे ऑटोमोबाइल, तंबाकू और एरेटेड ड्रिंक्स पर अतिरिकित सेस भी लगाया जाता है।
मार्च में होने वाली अगली बैठक में होगी बात
नाम जाहिर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि इन दो दरों को मिलाने पर चर्चा हुई है। मार्च में होने वाली अगली बैठक में इस मुद्दे पर बात होगी। राज्यों की सहमति भी इस मुद्दे पर ली जाएगी। जब 17 केंद्रीय और राज्यों के करों को एकीकृत कर जीएसटी लाया गया था तो उसका लक्ष्य इन दोनों की कर हिस्सेदारी को बनाए रखना था। इसके बाद जीएसटी में कटौती के कई दौर के बाद इसमें सुधार की जरूरत पड़ रही है।
दोनों दरों को एक करने से क्या होगा असर
ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर अभिषेख जैन के मुताबिक, इन दोनों दरों को एक करने से 12 वाली दर को जहां नुकसान होगा वहीं 18 वाली दर में आने वाले सामान और सेवा को फायदा होगा। अगर काउंसिल एक दर पर सहमत हो जाती है तो घी, मक्खन, चीज और चश्मे जैसी चीजें महंगी हो जाएंगी जबकि साबुन, रसोई का सामान और कपड़े सस्ते हो जाएंगे। इसी महीने संसद में रखी गई वित्त आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कटौती के कई दौर के बाद आई जीएसटी की असमानता को दुरुस्त किया जाना चाहिए। मिंट ने वित्त मंत्रालय से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है पर अभी तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हो पाई है।