पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से आागामी चुनाव वाले राज्यों में भाजपा की चिंता बढ़ गई है। पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारियों की रविवार को होने वाली बैठक में चुनाव वाले राज्यों के नेता इस मुद्दे को केंद्रीय नेतृत्व के सामने रख सकते हैं। इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे तथ्यों से तो पार्टी नेता सहमत हैं, लेकिन जनता में जा रहे संदेश, विरोधी दलों के मुद्दा बनाने और महंगाई बढ़ने की आशंका बरकरार है।
अप्रैल माह में पांच विधानसभाओं के चुनाव से पहले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने इन राज्यों के भाजपा नेताओं के माथे पर शिकन ला दी है। सूत्रों के अनुसार पार्टी की रविवार की बैठक में यह मुद्दा भी चर्चा में आ सकता है। खासकर चुनाव वाले राज्य अलग से इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं और राहत की मांग भी कर सकती हैं।
राहत के संकेत:
सूत्रों का कहना है कि भाजपा शसित राज्य इस स्थिति में अपने यहां कुछ टैक्स घटा सकते हैं कि जिससे लोगों को कुछ राहत मिले। इससे अन्य राज्यों पर भी दबाब बनेगा और स्थितियां सुधर सकती हैं। हाल में राजग की मेघालय सरकार ने अपने यहां कीमतें कम की हैं। कोरोना काल में अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव के बाद केंद्र सरकार शायद ही इन कीमतों में अपनी तरफ से कोई राहत दे। हालांकि वह राज्यों के जरिये कुछ उपाय कर सकती है। हाल में सरकार में उच्च स्तर से आए बयान भी इसी बात के संकेत दे रहे हैं।
हर रोज तय होता है दाम:
गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक प्रक्रिया के तहत तेल कंपनियां हर रोज तय करती हैं, लेकिन आम आदमी इसे केंद्र सरकार से जोड़कर देखता है। हालांकि इससे मिलने वाले राजस्व में केंद्र और राज्यों, दोनों का हिस्सा होता है। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय सतर पर भी कोशिश कर रही है। अगर ओपेक देश उत्पादन बढ़ाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें कम होगी और देश में तेल कंपनियां भी कीमतें घटा सकती हैं।