भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अब तक कारगर साबित हुए एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन को अब दुनिया ने भी सलाम कर दिया है। एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी दे दी है। डब्ल्यूएचओ के एक्सपर्ट्स ने इस वैक्सीन पर उठ रहे सभी सवालों-शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों पर इस टीके का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही इस वैक्सीन का इस्तेमाल वहां भी किया जा सकता है, जहां कोरोना के नए वैरिएंट सामने आए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स (SAGE) ने दो खुराक वालीं कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाए, इसके लिए एक सिफारिश जारी की है। बता दें कि इस वैक्सीन को अभी डब्ल्यूएचओ की ओर से आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी लेनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से यह घोषणा ऐसे वक्त में आई है, जब वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह अधिक उम्र के लोगों पर प्रभावी होगा, क्या यह साउथ अफ्रीका में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन पर कारगर साबित होगा?
SAGE के प्रमुख अलेजांद्रो क्राविओटो ने माना कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर डेटा की कमी को लेक कई देशों में डर पैदा हुआ और इसकी वजह से कई देशों ने उम्रदराज लोगों को वैक्सीन देने का काम रोका। जबकि कोरोना वायरस से सबसे अधिक पूरी दुनिया में बुजुर्ग ही प्रभावित हुए हैं। हालांकि, उऩ्होंने कहा कि इस वैक्सीन की ट्रायल डेटा से यह स्पष्ट होता है कि यह वैक्सीन 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए पूरी तरह से सेफ और प्रभावी है।
पत्रकारों से बातचीत में क्राविओटो ने कहा कि हमें लगता है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर किया जा सकता है, बिना किसी अपर एज लिमिट के। गौरतलब है कि साउथ अफ्रीका में एस्ट्रेजेनेका के टीकों का प्रयोग रोक दिया गया, क्योंकि कुछ एक छोटे ट्रायल के डेटा से यह बात सामने आई कि यह नए स्ट्रेन के हल्के से मध्यम संक्रमण से बचाव नहीं कर पा रहा है।