खालिस्तान समर्थक धालीवाल पर जांच एजेंसियों की नजर, जानें ‘टूलकिट’ से कैसे रची गई दिल्ली हिंसा की साजिश

दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा की जांच के दौरान जिस ‘टूलकिट’ को अपलोड करने की बात का खुलासा हुआ, उस मामले में ‘पोएटिक फॉर जस्टिस’ ग्रुप के को-फाउंडर एमओ धालीवाल पर जांच एजेंसियों की नजर है। दरअसल पुलिस को शक है कि ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट डॉक्यूमेंट ट्वीट करने के बाद उसे डिलीट किया था, वो पोएटिक फॉर जस्टिस ग्रुप द्वारा तैयार किया गया होगा। इस बात के मद्देनजर धालीवाल के वायरल वीडियो की भी जांच तेज कर दी गई है।

धालीवाल पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर है। जानकारों का यह आरोप रहा है कि धालीवाल खालिस्तान समर्थक है और भारत के खिलाफ कई प्रदर्शनों में वह शामिल रहा है। हिंसा को लेकर ट्विटर पर माहौल बिगाड़ने के लिए पूरी ‘टूलकिट’ अपलोड की गई थी। यह ‘टूलकिट’ गूगल डॉक्यूमेंट में बनाई गई थी। चूंकि ‘टूलकिट’ के अंदर कुछ इंस्टाग्राम प्रोफाइल, ट्विटर अकाउंट और ईमेल आईडी भी दिए गए थे, इसलिए दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इन बसके बारे में और इनके डोमेन आईडी भी गूगल से मांगे हैं। दिल्ली पुलिस ‘टूलकिट’ की तफ्तीश कर रही है। साइबर सेल यह पता लगाने का प्रयास कर रही है इस किट को क्रिएट व अपलोड करने वाला कौन है।

‘टूलकिट’ से कैसे साजिश रची गई? :
इस डॉक्यूमेंट में एक एक्शन प्लान के बारे में बताया गया है जिसमें यह कहा गया कि 26 जनवरी और उसके आसपास डिजिटल स्ट्राइक करना है। एक ट्वीट कर यह जानकारी सोशल मीडिया के जरिये देना है कि 23 जनवरी को फिजिकल एक्शन करना है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली और 2 मार्च को जो एक अन्य कार्यक्रम किसानों की तरफ से निर्धारित किया गया था, उसको ज्वाइन करना है। इसके लिए इस ‘टूलकिट’ को वॉच करना है कि कैसे दिल्ली में प्रवेश करना है और कैसे वापस बॉर्डर पर जाना है। इसके लिए लोगों को इस ‘टूलकिट’ के माध्यम से बताया गया था, जिसे अपलोड कर इस प्लान की पूरी जानकारी लेने को कहा गया था। हालांकि बाद में इसे डिलीट भी कर दिया गया था।

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