बीते दो महीने से देश के करोड़पति और अरबपति रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी में लगातार निवेश कर रहे हैं. इन कारोबारियों ने अरबों रुपयों के घर खरीद डाले हैं. ताजा-ताजा उदाहरण 369 करोड़ रुपये की अपार्टमेंट डील का देखने को मिला है. देश के इतिहास की यह सबसे महंगी डील भी कही जा रही है. इस अपार्टमेंट को गर्भनिरोधक बनाने वाली कंपनी फैमी केयर के फाउंडर जेपी तपारिया के परिवार ने खरीदा है. रियल्टी डेवलपर लोढ़ा ग्रुप से खरीदा गया यह अपार्टमेंट साउथ मुंबई के मालाबार हिल में है।
इन लोगों ने भी खरीदे करोड़ों के घर
दूसरी ओर सिंथेटिक फाइबर रोप बनाने वाली कंपनी टुफ्रोप्स के डायरेक्टर माधव गोयल ने रीयल्टी डेवलपर लोढ़ा ग्रुप से साउथ मुंबई के मालाबार हिल में 121 करोड़ रुपये में सी-व्यू लक्जरी अपार्टमेंट खरीदा है. फरवरी में, वेलस्पन ग्रुप के अध्यक्ष बीके गोयनका ने मुंबई के वर्ली इलाके में 240 करोड़ रुपये में एक पेंटहाउस खरीदा था. इस डील के बाद ऑबेरॉय रियल्टी ने उसी प्रोजेक्ट में एक और लग्जरी पेंटहाउस के लिए 230.55 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है. मार्च 2023 में डीएलएफ ने 1,137 लक्जरी अपार्टमेंट्स को बेचना शुरू किया था. यह सभी यनूनिट्स को लॉन्च के 3 दिनों के अंदर भी बिक गई थी. सभी यूनिट्स के दाम 7 करोड़ या उससे ज्यादा थे. डीएलएफ के हाथों में एक झटके में 8 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम हाथों में आ गई थी।
बजट में हुआ यह बदलाव
बजट 2023 में रेजिडेंशियल प्रोपर्टी में इंवेस्ट से लांग टर्म कैपिटल टैक्स पर टैक्स डिडक्शन की लिमिट तय कर दी गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट 2023 के भाषण के दौरान कहा था कि टैक्स में रियायत और छूट को बेहतर हाथों में पहुंचाने के लिए उन्होंने धारा 54 और 54एफ के तहत आवासीय घर खरीदने पर लांग टर्म कैपिटल गेंस डिडक्शन में 10 करोड़ की लिमिट तय दी थी. इसका मतलबयह है कि अगर आप 10 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो आप सिर्फ 10 करोड़ रुपये तक पर ही कैपिटल गेन टैक्स में राहत पा सकते हैं. ये बदलाव 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगा और असेसमेंट ईयर 2024-25 और बाद के असेसमेंट ईयर में यह लागू होगा।
हाई नेथवर्थ वालों पर पड़ेगा असर
जानकारों के अनुसार, व्यवस्था का असर हाई नेथवर्थ इंडिविजुअल्स पर ज्यादा देखने को मिलेगा. ताकि वो टैक्स छूट का ज्यादा फायदा ना ले सकें. सरकार का मानना है कि अगर कोई भी टैक्स भरने की क्षमता रखता है तो उसे टैक्स भरना चाहिए. उन्हें टैक्स में ज्यादा से छूट देने की जरुरत नहीं है. इसका कारण भी है कि रेजिडेंशियल हाउसिंग में मैक्सीमम डील 10 करोड़ रुपये कम की रहती है. उससे ज्यादा रुपयों का घर हाई नेटवर्थ वाले लोग ही खरीदते हैं।