ये खबर म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए काफी जरूरी है. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं, तो जल्द ही आपको बड़ा झटका लग सकता है. वजह ये है कि शुक्रवार को सरकार ने लोकसभा से फाइनेंस बिल में एक संशोधन पारित करवा लिया. इससे अब कुछ म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर मिलने वाला टैक्स बेनेफिट खत्म हो गया है और अब 1 अप्रैल 2023 से आपको पहले से ज्यादा टैक्स इन पर देना पड़ सकता है।
फाइनेंस बिल यानी वित्त विधेयक में ये संशोधन डेब्ट म्यूचुअल फंड स्कीम से जुड़ा है. अब डेब्ट म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के निवेश पर मिलने वाला कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) बेनेफिट खत्म हो गया है. इसकी जगह इन स्कीम को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) के दायरे में लाया गया है।
डेब्ट फंड्स पर एफडी की तरह लगेगा टैक्स
पारित हुए संशोधन के हिसाब से जिन डेब्ट फंड्स का इक्विटी शेयर में निवेश 35 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है, अब उन पर आयकर की स्लैब के हिसाब से कर देना होगा. वहीं ऐसे निवेश पर लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. ये ठीक वैसे ही होगा जैसा कि बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स लगता है. हालांकि इसके लिए निवेश की अवधि तीन साल से कम होनी चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट भाषण में ऐलान किया था कि डेब्ट म्यूचुअल फंड्स में लोग 35 प्रतिशत तक की रकम को ही इक्विटी शेयर्स में निवेश कर सकते हैं।
अभी मिलता है Debt Fund पर ये टैक्स बेनेफिट
मौजूदा समय में डेब्ट म्यूचुअल फंड में 3 साल से अधिक अवधि के के निवेश को लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है. ऐसे में उन पर 20 प्रतिशत की दर से इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ टैक्स देना होता है. वहीं बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के टैकस की दर 10 प्रतिशत रहती है. वहीं जिन लोगों का निवेश 3 साल से कम अवधि का होता है, उन पर उनके आयकर की स्लैब की हिसाब से टैक्स लगता है।
अब नए प्रस्ताव के मुताबिक में 3 साल से अधिक अवधि का निवेश होने पर भी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा, यदि डेब्ट फंड में जमा की गई राशि का 35 प्रतिशत तक ही इक्विटी शेयर में लगाया गया है।
Gold में निवेश भी आएगा टैक्स दायरे में
संशोधन शुक्रवार को संसद में पेश किया जा सकता है. ये नियम 1 अप्रैल 2023 से ही लागू हो जाएगा. इसमें एक और प्रावधान ये है कि नया नियम सिर्फ डेब्ट म्यूचुअल फंड पर नहीं बल्कि गोल्ड में निवेश से लेकर अंतरराष्ट्रीय इक्विटी और घरेलू इक्विटी फंड ऑफ फंड्स पर भी लागू होगा।