राजस्थानी को राजभाषा बनाने की लड़ाई अब अपने मुकाम पर पहुंचने के आसार बनते दिख रहे हैं. राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रही राजस्थान युवा समिति की ओर से उम्मीद जताते हुए कहा गया है कि अब जल्द ही राजस्थान में इस भाषा को राजभाषा का दर्जा मिल सकता है. दरअसल समिति की ओर पिछले कई दिनों से प्रदेशभर में राजभाषा का आंदोलन किया जा रहा है. दरअसल राजस्थान के इतिहास में पहली बार हाल में विधानसभा में अनुच्छेद 345 को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की ओर से इस मसले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया जिसके जवाब में सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि राजस्थानी भाषा को राजस्थान की द्वितीय राजभाषा घोषित करने के सम्बन्ध में भाषा राज्यमंत्री ने एक समिति के गठन का अनुमोदन किया है।
उन्होंने जानकारी दी कि यह समिति छत्तीसगढ़ और झारखंड के मॉडल का अध्ययन कर रही है और इसके बाद वहां की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. मालूम हो कि बीते दिनों राजस्थानी युवा समिति की ओर से राज्य के कई जिलों में राजभासा के लिए “हेलो मायड़ भासा रौ” कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था।
पहली बार अनुच्छेद 345 को बनाया गया आधार
वहीं राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर सिंह चलकोई ने कहा कि आज जब विधानसभा के इतिहास में पहली बार अनुच्छेद 345 को आधार बनाकर राजस्थानी को राजभासा का दर्जा देने की मांग उठी तो अब सकारात्मक नतीजे आने की उम्मीद है. चलकोई ने आगे कहा कि इसका पूरा श्रेय राजस्थानी युवा समिति को जाता है।
दरअसल राजस्थानी युवा समिति इस मांग को लेकर लंबे समय से आन्दोलन कर रही है और पूरे राज्य के हर जिले और संभाग में राजस्थानी को राजभासा बनाने के लिये “हेलो मायड़ भासा रौ” कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. वहीं प्रवासी भारतीय दिवस के दिन शहीद स्मारक पर एक सभा और कैंडल मार्च भी निकाला गया था।
राजेन्द्र राठौड़ ने उठाया मुद्दा
वहीं समिति के संस्थापक हिमांशु किरण शर्मा ने बताया कि इस विधानसभा सत्र में हमारी पूरी टीम 25 दिन जयपुर में रही लेकिन मुख्यमंत्री मिलने का समय नहीं दे रहे थे जिसके बाद इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने के लिये समिति ने उपनेता प्रतिपक्ष से गुहार लगाई और राठौड़ ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए ड्राफ्ट तैयार करने की बात कही और इसके बाद ध्यानाकर्षण प्रस्ताव बनाया गया।
वहीं समिति की ओर से लगातार केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी संपर्क साधा जा रहा है जहां 8वीं अनुसूची में जोड़ने के लिए मांग की जा रही है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर हजारों की तादाद में हर दिन इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है।