देश की सबसे बड़ी ड्रिंकिंग वॉटर डील ‘पानी’ में चली गई है यानी डूब गई है. इस बात की जानकारी खुद टाटा ग्रुप की यूनिट ने दी है. टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने आज कहा कि उसने पैकेज्ड वॉटर कंपनी के संभावित अधिग्रहण के लिए बिसलेरी के साथ चर्चा बंद कर दी है. अगर यह डील होती तो टाटा ग्रुप पैकेज्ड वॉटर सेगमेंट का लीडर बना देता।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कंपनी यह अपडेट करना चाहती है कि यूनिट ने बिसलेरी को खरीदने के लिए संभावित ट्रांजेक्शन के संबंध में बातचीत बंद कर दी है. साथ ही पुष्टि की है कि कंपनी ने इस मामले पर कोई निश्चित समझौता नहीं किया है।
क्यों अटक गई डील?
नवंबर में रिपोर्ट आई थी कि देश की सबसे बड़ी बोतल बंद पानी बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक करीब 7 हजार करोड़ रुपये में टाटा ग्रुप को सौंप देंगे. इस महीने की शुरुआत में मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि वैल्यूएशन को लेकर बातचीत रुकी हुई है. बिसलेरी के मालिक इस डील से लगभग 1 बिलियन डॉलर जुटाना चाह रहे थे, ब्लूमबर्ग ने इस मामले से अवगत लोगों का हवाला देते हुए कहा कि टाटा के साथ बातचीत में रोड़ा अटक गया क्योंकि कंपनियां वैल्यूएशन पर सहमत नहीं हो पा रही थीं।
टॉप पर पहुंच जाता टाटा
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के पास हिमालयन नेचुरल मिनरल वॉटर और टाटा वॉटर प्लस ब्रांड हैं. बिसलेरी के अधिग्रहण से उसके भारत में बोतलबंद पानी के ब्रांडों के पोर्टफोलियो का विस्तार होता. टाटा कंज्यूमर फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्पेस में काफी अग्रेसिव तरीके से आगे बढ़ रहा है और इस सेक्टर में टॉप 3 में आने का टारगेट रखे हुए हैं. खासकर ऐसे समय में जब रिलायंस एफएमसीजी सेगमेंट में एक मजबूत पांव पसारने का प्रयास कर रहा है. बिसलेरी का अधिग्रहण करने से टाटा पैकेज्ड पेयजल खंड में शीर्ष स्थान पर पहुंच जाता।
दो साल से चल रही थी बातचीत
कहा जा रहा है कि बिसलेरी के पास अलग-अलग समय में रिलायंस रिटेल, नेस्ले और डेनोन सहित कई दावेदार थे. टाटा से दो साल से बातचीत चल रही है. नवंबर में, बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान ने कुछ महीने पहले टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और टाटा कंज्यूमर के सीईओ सुनील डिसूजा से मुलाकात के बाद कंपनी को टाटा को बेचने का मन बना लिया था. बिसलेरी मूल रूप से एक इटैलियन ब्रांड था जिसने 1965 में मुंबई में भारत में दुकान स्थापित की थी. चौहांस ने 1969 में इसे एक्वायर किया था. कंपनी के 122 ऑपरेशनल प्लांट हैं और भारत और पड़ोसी देशों में 4,500 डिस्ट्रीब्यूटर्स और 5,000 ट्रकों का नेटवर्क है।