असम में बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा बयान दिया है. सीएम सरमा ने कहा है कि इस अभियान को और तेज किया जाएगा और राज्य सरकार 2026 तक बाल विवाह को पूरी तरह खत्म कर देगी. उन्होंने कहा कि इस सामाजिक बुराई के खिलाफ अभियान को और तेज किया जाएगा. इस संंबंध में मैंने राज्य भर के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से बातचीत की है।
सीएम सरमा ने दावा किया कि जिन लोगों ने इस तरह की शादियां करने की योजना बनाई थी, उन्होंने अब उन्हें रद्द कर दिया है. यह निश्चित रूप से बाल विवाह के खिलाफ हमारी दो सप्ताह तक चली कार्रवाई का सकारात्मक प्रभाव है. उन्होंने कहा कि अब लोग आ रहे हैं और पुलिस से पूछ रहे हैं कि क्या वे शादी की व्यवस्था कर सकते हैं, क्योंकि दुल्हन 18 साल दो महीने या तीन महीने की हो गई है. इससे साफ पता चलता है कि अब लोगों में बाल विवाह को लेकर बहुत जागरूकता है।
अभियान के तहत 3031 लोग हुए थे गिरफ्तार
सीएम सरमान ने आगे बताया कि ऐसे मामलों में अब तक केवल 98 लोगों को जमानत मिली है और राज्य इस प्रथा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगा. तीन फरवरी को शुरू हुई कार्रवाई में मंगलवार तक 4225 मामले दर्ज कर 3031 लोगों को पकड़ा गया था. इन लोगों को अस्थायी जेलों में रखा गया है।
विपक्षी दलों ने अभियान चलाने के तौर तरीकों को लेकर इसकी आलोचना की और नाबालिग पतियों और परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी को राजनीतिक लाभ के लिए कानून का दुरुपयोग करार दिया. उन्होंने इसकी तुलना लोगों को आतंकित करने के लिए की जाने वाली पुलिस कार्रवाई से की।
हाई कोर्ट ने की थी सरकार की आलोचना
गोवाहाटी हाई कोर्ट ने भी बाल विवाह के आरोपियों पर यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2021 और दुष्कर्म की धाराएं लगाए जाने को लेकर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी. अदालत ने कहा था कि ये बिल्कुल अजीब आरोप हैं. न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने कहा कि इससे लोगों के निजी जीवन में तबाही मची है और ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है।