तुर्किये और सीरिया में सोमवार सुबह 4 बजे आए भूकंप में मरने वालों की संख्या 5000 हो गई है। हजारों लोग अभी भी लापता हैं। भारत ने भी तुर्किये को मदद भेजी है। इंडियन एयरफोर्स का C-17 विमान 2 NDRF टीमों, डॉक्टरों और राहत सामग्री के साथ वहां पहुंच चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तुर्किये के हालात पर चिंता जाहिर की। मोदी मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक मोदी ने कहा, ‘आज तुर्किये जिस हालात से गुजर रहा है, उसे मैं समझ सकता हूं। 2001 में भुज में जब भूकंप आया था, तब मैं मुख्यमंत्री था। मुझे पता है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या दिक्कतें आती हैं।’ भुज में आए भूकंप में 16 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी। घायलों का आंकड़ा 68 हजार से ज्यादा था।
भूकंप के बड़े अपडेट्स
- तुर्किये में 3419 लोगों की जान जा चुकी है और 15 हजार से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
- सीरिया में 1,602 लोग मारे गए और 2 हजार से ज्यादा जख्मी हैं।
- दोनों देशों में बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो गई हैं। कई टन मलबे के नीचे जिंदगियां तलाशी जा रही हैं।
- तुर्किये के लिए लगभग 50 देशों ने मदद भेजने का आश्वासन दिया है।
अब तक 243 आफ्टर शॉक्स, तुर्किये में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक
तुर्किये और सीरिया में सोमवार सुबह 3 बड़े भूकंप आए थे। तुर्किये के वक्त के मुताबिक, पहला भूकंप सोमवार सुबह करीब चार बजे (7.8), दूसरा करीब 10 बजे (7.6) और तीसरा दोपहर 3 बजे (6.0) आया। इसके अलावा 243 आफ्टर शॉक्स भी दर्ज किए गए। इनकी तीव्रता 4 से 5 रही। तुर्किये में मंगलवार सुबह 8.53 पर फिर भूकंप आया। तुर्किये में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक है। यहां 10 शहरों में इमरजेंसी और रेड अलर्ट जारी किया गया है। सभी स्कूल-कॉलेज एक हफ्ते बंद रहेंगे। 200 फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। 16 हजार लोग बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
कड़ाके की ठंड से बचाव कार्य प्रभावित, तापमान माइनस में
UN ने कहा है कि बर्फबारी और बारिश के कारण भूकंप से प्रभावित दोनों ही देशों में बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है। इमरजेंसी सर्विसेज की टीमों को रेस्क्यू में काफी दिक्कत हो रही है। तुर्किये के हताय प्रांत में एक आदमी ने रोते हुए रॉयटर्स को बताया कि इमारतों के ढेर में दबे लोग जान बचाने के लिए चीख रहे हैं। भूख, चोट और कड़ाके की ठंड से परेशान हैं।
वहीं, सीरिया में बचाव कार्यों में लगी व्हाइट हेलमेट्स की टीम के सदस्य रायद अल सालेह ने बताया कि जगह-जगह दबे लोगों को बचाने का काम वक्त के खिलाफ रेस की तरह लग रहा है।
2017 में आया था क्रॉस-बॉर्डर भूकंप
2017 में ईरान-इराक में क्रॉस-बॉर्डर भूकंप आया था। इराक के कुर्दिश शहर हलाबजा से इरान के कर्मानशाह प्रांत में झटके महसूस किए गए थे। इसमें 630 लोगों की मौत हुई थी। 8 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
दुनिया में हर साल 20 हजार भूकंप आते हैं
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इन्फॉर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20 हजार भूकंप रिकॉर्ड करता है। इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। यह कुछ सेकेंड तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।
नवंबर में तुर्किये में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके झटके इतने तेज थे कि राजधानी अंकारा, इस्तांबुल और आस-पास के इलाकों में महसूस किए गए थे। हेल्थ मिनिस्टर फहार्टिन कोका ने कहा- 22 लोग घायल हुए। ये लोग भूकंप के डर से एक ऊंची इमारत से कूद गए थे।
तुर्किये और सीरिया में सोमवार को आए 7.8 और 7.6 तीव्रता के दो भूकंपों से अब तक 2300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस भूकंप के झटके लेबनान और इजराइल में भी महसूस किए गए। तुर्किये और सीरिया में लोग नींद में ही थे जब यह जलजला आया। इसके बाद 78 आफ्टर शॉक्स भी आए। इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर गईं।
3. तीन टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच सैंडविच बना तुर्किये:खेत जोतने जैसी भूकंप की रेली तरंगों ने ढेर कर दी इमारतें
तुर्किये के लाखों लोगों को सोमवार सुबह 7.8 तीव्रता के भयंकर भूकंप ने झकझोर दिया। अब तक 912 लोगों की जान जा चुकी है। तुर्किये के बाहर सीरिया, लेबनान और इजराइल तक की धरती हिल गई। भास्कर एक्सप्लेनर में बताएंगे कि तुर्किये में क्यों आते हैं इतने भूकंप और इस बार का भूकंप 1939 के बाद सबसे खतरनाक क्यों है।
4. भूकंप से तुर्किये की इकोनॉमी को भी झटका: करेंसी लीरा में रिकॉर्ड गिरावट, महंगाई से घर का किराया 19,700 से 1,31,000 रु. पहुंचा
तुर्किये इस वक्त आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की करेंसी लीरा लगातार कमजोर हो रही है और महंगाई दर 57% के करीब है। कॉस्ट ऑफ लिविंग के बढ़ने से जनता परेशान है। वहीं तुर्किये और सीरिया में सोमवार सुबह आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने परेशानी को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इस भूकंप से अब तक 4000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।