बजट 2023-24 में इनकम टैक्स को लेकर किए गए ऐलान की हर ओर चर्चा हो रही है. सरल शब्दों में मतलब निकाला जा रहा है कि 7 लाख की सालाना इनकम वाले लोगों को टैक्स नहीं देना पड़ेगा. पहले यह लिमिट 5 लाख।
लेकिन यहां अंग्रेजी के दो शब्दों के बारीक अर्थों को समझने की जरूरत है. जो लोग टैक्स के मामलों के जानकार हैं वो हमेशा दो शब्दों का हमेशा इस्तेमाल करते हैं पहला एग्जेम्पशन और दूसरा रिबेट।
एग्जेम्प्शन का सीधा मतलब है राहत, जबकि रिबेट का मतलब है छूट. अब इन दो शब्दों के खांचे में बजट में टैक्स को लेकर किए गए ऐलानों को रखें तो मतलब साफ है यहां राहत नहीं छूट है. टैक्स मामलों के जानकार बलवंत जैन ने बताया कि यहां पर एग्जम्प्शन सिर्फ 3 लाख सालाना रुपये तक की सैलरी पर मिला है. पहले यह ढाई लाख रुपये पर लागू था. बाकी जो कैलकुलेशन है वो रिबेट कहा जाएगा यानी छूट के दायरे में आएगा।
बजट में कहा गया है कि नए टैक्स सिस्टम के तहत 7 लाख रुपये सालाना आय वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. यहां ये जानना जरूरी है कि नए टैक्स सिस्टम का ऐलान साल 2020 में किया गया था. बजट में टैक्स के स्लैब्स यानी खांचों में भी बदलाव किया गया है।
जिसमें 7 लाख रुपये सालाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन 6 से 9 लाख सालाना आय वाले लोगों 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा. अब इसी जगह से कन्फ्यूजन शुरू होता है. नए ऐलान के मुताबिक 7 लाख सालाना आय वालों को टैक्स में छूट मिली या नहीं।
साधारण शब्दों में समझें तो जिनकी सालाना आय 7 लाख तक है उनको नए टैक्स सिस्टम के तहत फायदा होगा. उनको टैक्स में 100 फीसदी छूट दी गई है. दूसरी ओर जिनकी सालाना आय 7 लाख से ज्यादा है उनको नए टैक्स सिस्टम के तहत बनाए गए नए स्लैब्स या खांचों के तहत टैक्स देना पड़ेगा।
क्योंकि यहां पर जीरो टैक्स की छूट दी गई है न कि राहत. ये छूट सालाना आय में 7 लाख रुपये तक की ह।
अब इसको इस तरह से समझते हैं कि मान लें सुनीता (काल्पनिक नाम) को सालाना आय में 6,99,000 रुपये पर टैक्स देना पड़ता था. लेकिन अब सुनीता वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान से खुश हो सकती हैं. क्योंकि अब उनको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
अब बात करें अनीता (काल्पनिक नाम) की, जिनकी सालाना आय में 7,50,000 रुपये पर हर साल टैक्स लगता था. अब नए सिस्टम के हिसाब से अनीता को तीन लाख रुपये पर सालाना टैक्स देना होगा. क्योंकि 7 लाख रुपये तक की छूट वाले दायरे में नहीं आ रही हैं।
अब अनीता को नए स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स देना पड़ेगा. मतलब 0-3 लाख रुपये पर जीरो टैक्स, 3-6 लाख रुपये पर 5 प्रतिशत और 6-9 लाख रुपये पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा।
इस हिसाब से अनीता को 3-6 लाख रुपये के स्लैब के हिसाब (5 फीसदी) से 15 हजार रुपये और 6-9 लाख रुपये वाले स्लैब (10 फीसदी) के हिसाब 15 हजार और टैक्स देना होगा।
अगर वित्तमंत्री नर्मला सीतारमण ने 7 लाख रुपये की सालाना आय पर रिबेट के बजाए एग्जेप्सन यानी राहत देने का ऐलान किया होता तो अनीता को भी फायदा होता. मतलब कि पुराने टैक्स सिस्टम में तमाम तरह के निवेश दिखाने पर राहत मिलती थी लेकिन नए सिस्टम का विकल्प चुनने पर आपका जो टैक्स बनेगा वो पूरा देना पड़ेगा।
इस लिहाज से अगर अनीता ने होम लोन, पीपीएफ, एलआईसी में निवेश किया है तो उनको पुराना टैक्स सिस्टम ही चुनना चाहिए जबकि अगर उन्होंने कहीं कोई निवेश नहीं किया तो उनको नया टैक्स सिस्टम चुनना चाहिए।
बता दें कि अब इनकम टैक्स भरते समय लोगों को पुराना टैक्स चुनना पड़ेगा. अभी तक इनकम टैक्स की साइट पुराने सिस्टम के हिसाब से खुलती थी लेकिन नए वित्तीय साल ये नए सिस्टम के हिसाब से अपडेट हो जाएगी. पुराने वाले सिस्टम के लिए दिए गए विकल्प में क्लिक करना होगा।