नई दिल्ली। सरकार हिंदुओं के बीच पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी के किनारे न केवल ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के स्थलों को बढ़ावा देने बल्कि इसके आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक पर्यटन नेटवर्क तैयार करने की योजना बना रही है। इस परियोजना पर काम कर रहे मंत्रालयों के अधिकारियों ने पीटीआई- को इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि 2,520 किलोमीटर लंबी गंगा वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज, कोलकाता, पटना, कानपुर और गाजीपुर जैसे प्रमुख शहरों से होकर गुजरती है। सरकार ने 2014 से अपने नमामि गंगे कार्यक्रम के माध्यम से नदी को साफ करने के लिए काफी धन खर्च किया है। नमामि गंगे को महत्वाकांक्षी योजना घोषित किया गया है और इसका परिव्यय बजट 20 हजार करोड़ रुपये है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, गंगा से जुड़े पर्यटन की बात की जाए तो इसके आसपास बहुत सारे ऐतिहासिक स्थान मौजूद हैं। चाहे वह रामायण हो या महाभारत, इसमें से बहुत सी घटनाएं गंगा से जुड़ी हैं। काशी और प्रयागराज ऐसे शहर हैं, जो पौराणिक व धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। अधिकारी ने कहा, इसके अलावा साड़ियां और विशेष व्यंजन इन क्षेत्रों के अद्वितीय उत्पाद हैं। हम इन सभी को एकीकृत कर आजादी का महोत्सव के तहत एक पर्यटन उत्सव आयोजित कर सकते हैं। हम ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए, हम इस बारे में सारी जानकारी प्रदान करेंगे, और पर्यटन विभाग इसपर काम कर रहा है। एनएमसीजी ने इस तरह के उत्सव का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों ने संकेत दिया कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में गंगा के किनारे स्थलों को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय के प्रस्तावित गंगा सर्किट कार्यक्रम पर अभी विचार किया जा रहा है और अभी इसे मंजूरी नहीं दी गई। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि एनएमसीजी के साथ बैठक हो चुकी है और जल्द ही इसका खाका तैयार कर लिया जाएगा।