विदेश सचिव शृंगला, संरा प्रमुख ने यूक्रेन, अफगानिस्तान के मसले पर विमर्श किया
संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली, 24 मार्च । विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से यहां मुलाकात की और यूक्रेन, अफगानिस्तान और म्यांमा की बदलती परिस्थितियों सहित विश्व निकाय की सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर विचार विमर्श किया।
शृंगला मंगलवार को न्यूयार्क पहुंचे और संयुक्त राष्ट्र तथा अरब देशों के लीग के बीच सहयोग को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ब्रीफिंग में बुधवार को हिस्सा लिया। यह ब्रीफिंग संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की काउंसिल प्रेसिडेंसी के तहत आयोजित की गयी। संरा सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग की अध्यक्षता यूएई के मंत्री खलीफा शाहीन अलमरार ने की। यूएनएससी की ब्रीफिंग के बाद शृंगला ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुतारेस से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की। (तथा) यूक्रेन, अफगानिस्तान और म्यांमा सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर विचार विमर्श किया। सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बैठक करीब एक घंटे तक चली और उन्होंने यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा की।
ऐसा समझा जाता है कि गुतारेस ने कहा कि भारत उन कुछेक देशों में शामिल है जिनका पूरी दुनिया में सम्मान होता है और भारत जैसे देश को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, क्योंकि मौजूदा स्थिति में यह दोनों पक्षों से सम्पर्क कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बातचीत की है और हिंसा के बजाय कूटनीतिक बातचीत और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है।
पिछले सप्ताह गुतारेस ने कहा था कि वह चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इजरायल और तुर्की सहित तमाम देशों से संपर्क बनाए हुए हैं, ताकि इस युद्ध की समाप्ति के लिए मध्यस्थता के प्रयास किये जा सकें।
सूत्रों ने बताया कि संरा महासचिव ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पेट्रोलियम उत्पाद तथा खाद्य सामग्रियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चिंता जताई है, क्योंकि यदि यह संकट जारी रहता है तो कई देशों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार, गुतारेस संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका तथा इस बात को लेकर सकारात्मक थे, कि भारत के साथ बातचीत संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होगी।
शृंगला के यूएनएससी की ब्रीफिंग में शामिल होने के कुछ घंटे बाद, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में, रूस के उस प्रस्ताव पर मतदान हुआ जिसमें यूक्रेन की बढ़ती मानवीय जरूरतों को तो स्वीकार किया गया था, लेकिन रूसी आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं था। बहरहाल, वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
रूस को प्रस्ताव पारित कराने के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में न्यूनतम नौ वोट की आवश्यकता थी, साथ ही जरूरी था कि चार अन्य स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन में से कोई भी ‘वीटो’ का इस्तेमाल ना करे। हालांकि, रूस को केवल अपने सहयोगी चीन का समर्थन मिला, जबकि भारत सहित 13 अन्य परिषद सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।