हिजाब विवाद: कांग्रेस विधायक बोले भाजपा चला रही देश की अदालतें
कर्नाटक के स्कूल एवं कॉलेजों में हिजाब को लेकर छिड़े विवाद का आज पटाक्षेप हो गया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक को सही ठहराया है। इसके साथ ही हिजाब के खिलाफ दिए आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच इस पर फैसला सुनाया। इसके साथ ही बेंगलुरु सिटी, मैसूर जैसे शहरों में कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं ताकि कोई उपद्रव न हो सके। बता दें कि हाई कोर्ट की बेंच ने लंबी सुनवाई के बाद 25 फरवरी को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 10 फरवरी को अंतरिम आदेश जारी कर हाई कोर्ट ने स्कूल एवं
कॉलेजों में अगले निर्णय तक हिजाब पहनने पर रोक का आदेश दिया था। अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि यह फैसला बेहद अहम है, जो लड़कियों के लिए शिक्षा की राह खोलेगा। खासतौर पर मुस्लिम छात्राओं के लिए शिक्षा के दरवाजे खुलेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि मुस्लिम लड़कियां आधुनिकता और शिक्षा को न अपनाएं। यह जरूरी है कि सभी पार्टियों को हाई कोर्ट के फैसले को मानना चाहिए। झारखंड के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर विवादित टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि आज भाजपा देश की अदालतों को चला रही है। इसके साथ ही इरफान ने इस मसले का
ठीकरा भाजपा पर फोड़के हुए उन्होंने कहा कि उसकी ओर से देश में धार्मिक विभाजन पैदा किया जा रहा है। चेन्नै के न्यू कॉलेज के छात्रों ने हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले विरोध किया। बड़ी संख्या में छात्रों ने कॉलेज के बाहर किया प्रदर्शन। अदालत ने कहा, ‘हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर अकादमिक सत्र के बीच में अचानक यह मुद्दा क्यों उठ गया।’ अदालत ने फैसला सुनाते हुए साफ तौर पर कहा कि हिजाब इस्लाम को मानने के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यूनिफॉर्म तय करना संस्थानों का अधिकार है और छात्र उस पर आपत्ति नहीं जता सकते। अदालत ने हिजाब विवाद पर फैसला सुनाते हुए इस मसले के अचानक उभरने पर भी हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि आखिर यह उलझन अचानक ही क्यों पैदा हो गई। अदालत ने अपने आदेश में कहा. ‘जिस तरह से हिजाब को लेकर
उलझन पैदा हुई है, उससे ऐसा लगता है कि इस पूरे विवाद में किसी का हाथ है। सामाजिक अशांति पैदा करने और सद्भाव खत्म करने के लिए ऐसा किया गया लगता है।’ हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर राज्य के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि इस फैसले को सभी को मानना चाहिए। इसमें राज्य सरकार का सभी लोगों को सहयोग करना चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को सही ठहराने वाले हाई कोर्ट के फैसले पर महबूबा मुफ्ती ने टिप्पणी की है। जम्मू-कश्मीर की नेता ने ट्वीट कर कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला निराशाजनक है। एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी चॉइस के अधिकार को खारिज किया जा रहा है। यह धर्म का मामला नहीं है बल्कि फ्रीडम टू चॉइस की बात है। कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर राज्य के अटॉर्नी जनरल प्रभुलिंग नावादकी ने
कहा कि अदालत ने व्यक्तिगत पसंद पर संस्थागत अनुशासन को वरीयता दी है। इसे फैसले ने संविधान के अनुच्छेद 25 की व्याख्या कर दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य शाइस्ता अंबर ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर कहा कि यदि शिक्षण संस्थान ऐसा नियम बनाते हैं तो फिर हमें उसे मानना होगा। यह सही है कि हिजाब इस्लाम का जरूरी अंग नहीं है। इस्लाम में महिलाओं को शालीनता से रहने की हिदायत दी गई है। हिजाब विवाद की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने छात्राओं के वकील से पूछा था कि क्या हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है। छात्राओं के वकील इस सवाल का जवाब नहीं दे सके थे। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने कहा, ‘हमारा विचार है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसके अलावा
दूसरा सवाल यह है कि क्या स्कूलों की ओर से यूनिफॉर्म तय करना गलत है। इसका जवाब है कि संस्थानों को इसका अधिकार है और छात्र इस पर आपत्ति नहीं जता सकते।’ इसके साथ ही उन्होंने कि तीसरा सवाल यह है कि क्या सरकार के पास इस संबंध में आदेश जारी करने का अधिकार है। इसका जवाब यह है कि सरकार का फैसला अवैध करार नहीं दिया जा सकता। स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह इस्लाम का अंग नहीं है। लंबी चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले को हिजाब समर्थकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पर रोक के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि स्कूलों एवं कॉलेजों में यूनिफॉर्म पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसके
साथ ही अदालत ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अहम अंग नहीं है। इस बीच हिजाब समर्थक छात्रों के वकील ने कहा है कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी। अधिवक्ता अनस तनवीर ने ट्वीट कर कहा, ‘हिजाब विवाद पर अपने क्लाइंट्स से उडुपी में मुलाकात की। इंशा अल्लाह हम जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उम्मीद है कि ये छात्राएं हिजाब पहनने के अपने अधिकार के साथ पढ़ाई जारी रख पाएंगी। इन छात्राओं की अदालतों एवं संविधान पर उम्मीद अभी बाकी है।’ हिजाब विवाद पर फैसला सुनाते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूलों एवं कॉलेजों की ओर से यूनिफॉर्म तय करना गलत नहीं है। इस पर छात्र आपत्ति नहीं जता सकते हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि उच्च न्यायालय ने न्यायसंगत फैसला दिया है। इससे मुस्लिम महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।