दाम छुएंगे आसमान:- रूस-यूक्रेन वॉर आपकी जेब पर भी डालेगा असर
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक जोखिम से खनिज तेल और गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे। जारी संकट के चलते चालू वित्त वर्ष में देश का आयात बिल बढ़कर 600 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है। इस कारण कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक के आयात पर भारत की निर्भरता और रुपये के मूल्य में गिरावट है। इससे महंगाई और चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण सनफ्लॉवर समेत अन्य खाद्य तेल महंगे हो सकते है। भारत हर साल करीब 25 लाख टन सनफ्लॉवर तेल का आयात करता है। इसमें से 70 फीसदी यूक्रेन और 20 फीसदी रूस से आयात किया जाता है। ताजा संघर्ष को देखते हुए आयातकों ने दूसरे देशों से आयात की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। 2020-21 विपणन वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) में भारत ने 1.17 लाख करोड़ रुपये से करीब 130 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया था।मूडीज
एनालिटक्सि की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस विश्व का सबसे बड़ा गैस आपूर्तिकर्ता है। उसकी अधिकांश गैस की आपूर्ति जर्मनी, टली, तुर्की, आस्ट्रिया और फ्रांस के साथ ही अन्य यूरोपीय देशों को की जाती है। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत भी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए कुछ गैस रूस से खरीदते हैं। यदि यह संकट लंबा खींचता है तो इससे वैश्विक स्तर पर गैस की कीमतों में तेजी आ सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का आयात-निर्यात पर भी असर पड़ सकता है। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए हैं। जिसका असर भारत के आयात-निर्यात पर भी पड़ सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी आयात-निर्यात पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जता चुकी हैं। उन्होंने खासतौर पर कृषि से जुड़े निर्यात पर चिंता जताई है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की सहायक इकाई मूडीज एनालिटक्सि ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि रूस-यूक्रेन संकट से सेमीकंडक्टर की कमी हो सकती है।