दल-बदलुओं की आई अब परीक्षा की बारी
विधानसभा चुनाव बसपा के सर्वाधिक दल-बदल वाले उम्मीदवार मैदान में हैं। बसपा से निकले गए राम अचल राजभर हो या लालजी वर्मा… या पूर्वांचल के बहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय तिवारी..। इनकी साख की परीक्षा की घड़ी आ गई है। इन पर यह साबित करने की बड़ी चुनौती है कि दल नहीं खुद के दम पर चुनावी बाजी मारते हैं। पार्टी चाहे जो भी हो वे जहां भी जाएंगे चुनाव जीत कर आएंगे। अब 10 मार्च को इनके असली ताकत का पता चलेगा। अंबेडकर नगर में बसपा के तीन दल-बदलू अंबेडकर नगर जिले में वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा को बड़ी सफलता मिली थी। भाजपा की आंधी के बावजूद भी जलालपुर, अकबरपुर और कटेहरी सीट बसपा जीतने में सफल हुई थी। जलालपुर के
रितेश पांडेय ने वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया। सपा ने इस बार जलालपुर से रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय को टिकट दिया है। वह सपा के टिकट पर वर्ष 2002 में विधायक रह चुके हैं। अब देखना होगा कि राकेश पांडेय पर लगाया दांव सपा को कितना फायदा पहुंचाता है। अंबेडकरनगर की अकबरपुर सीट से राम अचल राजभर पिछला विधानसभा चुनाव जीते थे। राम अचल राजभर इस सीट से लगातार छह बार के विधायक हैं और सातवीं बार सपा के टिकट पर मैदान में हैं। कटेहरी से लालजी वर्मा पिछला चुनाव जीते थे। इसके पहले वह टांडा से वर्ष 1991, 1996, 2002 व 2007 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस बार वह सपा के टिकट से मैदान में हैं।
चिल्लूपार पर सभी की नजर गोरखपुर की विधानसभा सीट, इसके अलावा दल-बदलुओं में श्रावस्ती भिनगा से बसपा विधायक असल राइनी, इलाहाबाद की प्रतापुर मुजतबा सिद्दीकी, इलाहाबाद हंडिया हाकिम लाल बिंद, जौनपुर की मुगरा बादशाहपुर से सुषमा पटेल और आजमगढ़ सगड़ी से बंदना सिंह की भी परीक्षा होनी है। चिल्लूपार से पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर विनय शंकर तिवारी जीते थे। इस बार वह सपा के टिकट से मैदान में हैं। इस सीट पर उनके पिता और हरिशंकर तिवारी वर्ष 1985 से 2002 तक छह बार चुनाव जीत चुके हैं। वृद्ध होने के बाद उन्होंने यह सीट अपने पुत्र विनय शंकर तिवारी के लिए छोड़ दी है। विनय शंकर तिवारी सपा के टिकट पर इस बार मैदान में हैं। इस सीट पर सभी की नजर लगी हुई है। अब देखना होगा कि परिणाम क्या होता है।