बिना सुनवाई के कैदियों को मौत की सजा देने और अफगान सुरक्षा बलों के पूर्व सदस्यों के जबरन लापता होने के कथित मामलों को देखते हुए तालिबान को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने जमकर लताड़ा है। तालिबान ने सत्ता संभालते ही पूर्व सरकारी कर्मियों के लिए सामूहिक माफी का ऐलान किया था, लेकिन अब इससे उलट तालिबान पर एक बार फिर से गंभीर मानवाधिकार हनन के आरोप लग रहे हैं।
पश्चिमी देशों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘हम तालिबान से अफगान सुरक्षा बलों के पूर्व सदस्यों और पूर्व सरकारी अधिकारियों के लिए माफी को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू करने का आह्वान करते हैं। यह सभी पद के लिए बराबर होना चाहिए।’
इससे एक दिन पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने तालिबान की ओर से दी जा रही मौत की सजाओं और अधिकारियों के गायब होने के लकर 25 पन्नों की रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अफगान सेना के 47 पूर्व सदस्यों का जिक्र था जिन्हें या तो मार दिया गया या फिर ये लापता हैं। इन सब ने 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था।
सभी देशों ने यह भी मांग की है कि दर्ज हुए मामलों को निष्पक्ष और जल्द से जल्द जांच हो, दोषियों को सजा मिले और इन ऐक्शन को सार्वजनिक किया जाए ताकि आगे इस तरह की हत्याओं और अधिकारियों के लापता होने के मामले न मिलें। सभी देशों ने यह भी कहा है कि वे तालिबान को उसके द्वारा उठाए गए कदमों के आधार पर आंकेंगे।
तालिबान के खिलाफ संयुक्त बयान जारी करने वाले देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, डेनमार्क, यूरोपियन यूनियन, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्थ मैसीडोना, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और यूक्रेन शामिल हैं।