अब अफगान के पास प्रमुख शहरों में बचा केवल काबुल, जलालाबाद पर भी तालिबान का कब्जा, खतरा और बढ़ा

अफगानिस्तान में  का कब्जा बढ़ता ही जा रहा है और आतंकी संगठन काबुल के और नजदीक पहुंच चुका है। दो दशक की लड़ाई के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटों बलों की संपूर्ण वापसी से पहले तालिबान देश पर हर ओर से कब्जा करता जा रहा है, राजधानी काबुल तेजी से अलग-थलग पड़ती जा रही है। आज यानी रविवार सुबह आतंकी संगठन तालिबान ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया जिसके कारण काबुल देश के पूर्वी हिस्से से कट गया है। काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था। अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में काबुल के अलावा सात अन्य प्रांतीय राजधानी बची हैं।

तालिबान ने रविवार सुबह कुछ तस्वीरें ऑनलाइन जारी कीं जिनमें उसके लोगों को नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में गवर्नर के दफ्तर में देखा जा सकता है। प्रांत के सांसद अबरारुल्ला मुराद ने एसोसिएटिड प्रेस को बताया कि चरमपंथियों ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया है। तालिबान ने पिछले सप्ताह में अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद अफगानिस्तान की केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है। उधर, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने वहां मौजूद अपने राजनयिक स्टाफ की मदद के लिए सैनिकों को भेजा है।

अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर शनिवार को चौतरफा हमलों के बाद तालिबान का कब्जा हो गया था और इसके साथ ही पूरे उत्तरी अफगानिस्तान पर तालिबानियों का कब्जा हो गया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शनिवार को कहा था कि वह 20 वर्षों की “उपलब्धियों” को बेकार नहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि तालिबान के हमले के बीच ‘विचार-विमर्श जारी है। उन्होंने शनिवार को टेलीविजन के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया। हाल के दिनों में तालिबान द्वारा प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा जमाए जाने के बाद से यह उनकी पहली सार्वजनिक टिप्पणी है।

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