अफगानिस्तान को लेकर मिले मध्य एशियाई देश, रूस ने दिया सुरक्षा का भरोसा

अफगानिस्तान और की स्थिति को लेकर मध्य एशियाई देशों ने बातचीत की है। इस बातचीत में अफगानिस्तान में स्थिरता को लेकर चिंता व्यक्त की गई और संभावित सुरक्षा खतरों को लेकर चर्चा की गई। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने क्षेत्रीय चुनौतियों के बारे में बात करने के लिए तुर्कमेनिस्तान के तुर्कमेनबाशी में मुलाकात की है।

बातचीत के बाद पांचों देश ने एक साझा बयान में कहा, ‘अफगानिस्तान में स्थिति का जल्द समाधान मध्य एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।’ पांचों देशों के नेताओं ने व्यापार और आर्थिक संबंधों के विस्तार और स्थायी क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता स्थापित करने की बात की है।

तालिबान का हमारे देश के बॉर्डर इलाकों पर नियंत्रण

ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने सम्मेलन के दौरान कहा, ‘अफसोस की बात है कि तालिबान ने हमारे देश के साथ सीमा की पूरी लंबाई पर नियंत्रण कर लिया है।’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘तालिबान के हमले के बाद 2 हज़ार से अधिक अफगान सेना के सैनिक ताजिकिस्तान भाग गए हैं। यह काफी आश्चर्यजनक है कि वे तालिबान का कोई प्रतिरोध किए बिना पीछे हट गए।’

उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव ने भी इस बात पर जोर दिया कि मध्य एशिया में स्थिरता अफगानिस्तान की स्थिति पर निर्भर करती है।

रूस का सुरक्षा का वादा

रूस, जिसका ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों में सैन्य ठिकानों के साथ एक सुरक्षा समझौता है, ने अफगानिस्तान से किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए सैन्य सहायता प्रदान करने का वादा किया है। 6 अगस्त को रूस और उज्बेक सैनिकों का जॉइंट वॉर गेम्स खत्म हुआ है। इस मॉक मिलिट्री ड्रिल में पश्चिमी रूस के एक मिलिट्री बेस से उड़ान भरते हुए लॉन्ग-रेंज बॉम्बर्स अफगानिस्तान बॉर्डर के पास उज्बेकिस्तान में नकली आतंकवादी शिविरों पर हमला करते हुए दिखे थे।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस मिलिट्री ड्रिल को लेकर कहा है कि इसका उद्देश्य, ‘आक्रमणकारी दुश्मन ताकतों को नष्ट करने के लिए जॉइंट एक्शन के लिए ट्रेन करना’ था।

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