उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में दर्जनों संदिग्ध कोरोना मरीजों की लाशें दिखने के बाद अब नदी में जाल लगाया जा रहा है। मकसद लाशों को बाहर निकालने के साथ ही अपने इलाके में आने से रोकना भी है। बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बक्सर में कई लाशें मिलने के बाद बिहार के अधिकारियों ने दावा किया था कि लाशें यूपी से बहकर आई हैं। बिहार में गंगा किनारे मिले 71 शवों से हड़कंप मच गया और यह आशंका फैल गई है कि वायरस उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में कहर बरपाने लगा है, जहां देश की दो तिहाई आबादी रहती है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि मृतकों के परिजनों ने इन शवों को नदी में प्रवाहित कर दिया, क्योंकि वह परंपरागत तरीके से दाह संस्कार के लिए लकड़ियां नहीं खरीद सकते। बहुत अधिक दाह संस्कारों की वजह से यह काफी महंगा हो गया है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार ने बुधवार को ट्विटर पर कहा, ”उत्तर प्रदेश की सीमा पर नदी में जाल लगा दिया गया है और पट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार त्रासदी और गंगा नदी को नुकसान से दुखी है। उन्होंने यह भी कहा कि लाशों के पोस्टमॉर्टम से पता चला है कि इनकी मौत चार से पांच दिन पहले हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 25 लाशें उत्तर प्रदेश के गहमर जिले में भी मिल चुकी हैं। दैनिक ‘द हिंदू’ ने एक स्थानीय पुलिसकर्मी के हवाले से कहा है कि राज्य में अंतिम संस्कारों के लिए लंबी कतारे हैं। हितेंद्र कृष्ण ने कहा, ”यह संभव है कि जल्दबाजी में कुछ शव गंगा में प्रवाहित कर दिए गए हों। भारत में मृतकों की संख्या आधिकारिक तौर पर बुधवार को 2.50 लाख से पार चली गई। हालांकि, कई एक्सपर्ट का कहना है कि वास्तविक संख्या कहीं ज्यादा है।
अब तक बड़े शहरों में कहर बरपाने वाला संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में भी फैलने लगा है, जहां अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य ढांचों का काफी अभाव है। देश में करोना संक्रमण की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और बुधवार को 24 घंटे में सर्वाधिक 4200 लोगों की मौत हुई है।