कोरोना संकट के बीच आपकी लोन की ईएमआई (मासिक किस्त) भी बढ़ने वाली है। बैंक आने वाले दिनों में होम, कार, पसर्नल सहित तमाम लोन पर ब्याज की दर बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद आपको लोन की एवज में अधिक ईएमआई चुकाना होगा।
दरअसल, देश के सबसे बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने होम लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है। एसबीआई ने की मार्च, 2021 के मुकाबले 1 अप्रैल से होम लोन की ब्याज दर में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बाद एसबीआई से होम लोन की न्यूनतम दर 6.70 फीसदी से बढ़कर अब 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। कोरोना महामारी के बीच लोन की ईएमआई 15 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बाद यह बढ़ोतरी एसबीआई द्वारा की गई है। ऐसे में बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि एसबीआई बाजार का शीर्ष बैंक। यह लोन मार्केट में ट्रेंड सेटर का काम करता है। अब जब एसबीआई ने होम लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है तो आने वाले दिन में दूसरे सराकरी और प्राइवेट बैंक भी इसको फॉलो करेंगे और ब्याज दर में बढ़ोतरी करेंगे। इससे सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे।
बैंकों ने जमा पर बढ़ोतरी शुरू की
हाल के दिनों में कई बैंकों ने सावधि जमा (एफडी) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। एचडीएफसी बैंक, केनरा बैंक समेत कई औैर बैंकों ने यह बढ़ोतरी की है। केनरा बैंक ने जहां एफडी पर 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी की है वहीं, एचडीएफसी ने भी 29 महीने के बाद अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम पर ब्याज दर 10-25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दी है। इस बढ़ोतरी से बैंकों की फंड लागत बढ़ गई है। इसका असर लोन की ब्याज दर पर पड़ेगा। यानी बैंक इसकी भरपाई करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे।
फिक्स्ड रेट पर लोन अभी फायदे का सौदा
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि यह तय है कि आने वाले दिनों में बैंक लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे। इस बढ़ोतरी का फौर असर न पड़े इसके लिए नए ग्राहकों को फिक्स्ड दर पर लोन लेना फायदे का सौदा रहेगा। फिक्स्ड रेट पर कार, होम या दूसरे लोन लेना फायदेमंद इसलिए रहेगा कि इसमें आपका ब्याज दर कम बना रहता है।
मौजूदा ग्राहकों के पास क्या विकल्प
ब्याज दरें बढ़ने पर बैंक आम तौर पर ग्राहकों को लोन की अवधि या ईएमआई बढ़ाने का विकल्प देते हैं। हालांकि, लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प सभी ग्राहकों को नहीं मिलता। बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि बैंक आम तौर पर लोन की असल अवधि या ग्राहक के रिटायरमेंट की अवधि से ज्यादा बढ़ाने की इजाजत नहीं देते, इसलिए कई ग्राहकों के पास एक मुश्त भुगतानकर ईएमआई की अवधि स्थिर रखने के अलवा दूसरा विकल्प नहीं होता।