दुनिया में हालांकि 25 करोड़ से भी अधिक लोगों को कोरोना टीके (एक या दो खुराक) लग चुके हैं, लेकिन यह कोरोना संक्रमण से बचाने में कितना असरदार साबित हो रहा है, यह जानने के लिए वैज्ञानिक समुदाय भी आतुर है। वैज्ञानिकों द्वारा टीके के प्रभाव के आकलन के लिए कई अध्ययन शुरू किए गए हैं, जिनके आरंभिक नतीजे यह तो दर्शाते हैं कि संक्रमण में कमी का रुझान है। लेकिन, क्या यह कमी टीका लगाने की वजह से आई है और क्या टीके से बीमारी की संक्रामकता भी घट रही है? इन सवालों के जवाब अभी भी तलाशे जा रहे हैं।
प्रतिरोधकता की निरंतर जांच
नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हार्वर्ड के टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक्सपर्ट मार्क लिपस्टि्ज ने कहा कि जिन लोगों को टीका दिया जा रहा है, उनमें प्रतिरोधकता की निरंतर जांच हो रही है। वैज्ञानिक अध्ययन जारी है। उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में कुछ नतीजे आएंगे, जो टीके के प्रभाव को व्यक्त करेंगे। वैज्ञानिकों के सामने तीन सवाल हैं। क्या टीका लगाने से बीमारी नहीं होगी। दूसरा, क्या बीमारी का प्रभाव हल्का होगा, जिससे फैलाव रुकेगा और तीसरा यह कितने समय तक बचाव करेगा।
सकारात्मक जानकारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप समेत कई देशों से कई छोटे-छोटे समूहों में टीके के प्रभाव को लेकर जो आरंभिक जानकारियां मिली हैं, उनमें कई सकारात्मक हैं। इजरायल में टीका लेने वाले संक्रमित हुए हैं, लेकिन उनमें वायरल लोड कम था, जिससे बीमारी दूसरे को फैलने की आशंका कम हो जाती है। ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्रेजेनेका के टीके की बाबत भी यह तथ्य सामने आया है कि यह वायरल लोड को कम करता है। यानी संक्रमित के शरीर में वायरस की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ पाती है।
फिलहाल कोरोना का फैलाव कम
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ता विर्जीनिया पिट्जर ने कहा कि ऐसे लगता है कि फाइजर का टीका सभी को संक्रमण से नहीं बचा पा रहा है, लेकिन यह देखा गया है कि जिन समूहों में टीका लगाया गया है, उनमें कोरोना का फैलाव कम हुआ है।
टीका लगवा चुके लोगों के संपर्क में आने वालों पर नजर
शोधकर्ताओं की नजर में टीका लगा चुके लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों पर है। खासकर परिवार और दफ्तर में काम करने वालों पर। क्योंकि यह भी कुछ अध्ययन संकेत करते हैं कि टीकाकरण लेने के बाद बीमारी की भयावहता घट रही है। लक्षण वाले मरीज घट रहे हैं।
संक्रमण के मामले कम हुए
ब्रिटेन की नौटिंघम यूनिवसिर्टी के शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के एक समूह को जिन्हें फाइजर का टीका लगाया गया था, उनमें अब कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं। जबकि अप्रैल मई में हुए अध्ययन में यह दर काफी थी।
अभी लंबा इंतजार करना होगा
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर जुगल किशोर कहते हैं कि अभी तक करोड़ों लोगों को टीके की दो डोज लग चुकी है। लेकिन, यह संख्या बेहद छोटी है। टीके का वास्तव में कितना असर हो रहा है, यह आकलन करने के लिए अभी खासा लंबा इंतजार करना होगा।
मार्च से असर दिखने के आसार
डब्ल्यूएचओ ने हाल में एक बयान में कहा था कि पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान विश्व में कोरेाना संक्रमण में 16 फीसदी और मौतों में 10 फीसदी की कमी आई है। भारत में 16 जनवरी से कोरोना की पहली खुराक और 13 फरवरी से दूसरी खुराक दी गई थी। दूसरी खुराक के 14 दिनों के बाद पूर्ण रूप से बीमारी के प्रति प्रतिरक्षा पैदा होगी। इसलिए देश में मार्च में इसके असर दिखने शुरू होंगे।