कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन के 75 दिन और सात पड़ाव

दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को सोमवार को 75 दिन पूरे हो गए। कृषि मंत्री ने बीते शुक्रवार को राज्य सभा में कहा कि मौजूदा आंदोलन सिर्फ ‘एक राज्य’ का मसला है। हालांकि किसानों के प्रदर्शन में देशभर के किसान बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं और हाल में कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी इस पर टिप्पणियां की। 26 जनवरी को लाल किले पर हुए उपद्रव के बाद किसान आंदोलन की प्रमाणिकता पर कई सवाल भी कायम हैं, इन सबके बीच पुलिस प्रशासन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा को चाक-चौबंद कर रहा है। आइए जानते हैं 75 दिन के 7 पड़ाव।

पहला पड़ाव: टकराव से वार्ता तक

23 नवंबर से दिल्ली चलो की शुरूआत : सरकार से वार्ता विफल होने के बाद किसान संघों ने 23 जनवरी को दिल्ली चलो की अपील की। 26 नवंबर को दिल्ली में मार्च के इरादे से आ रहे किसानों को पुलिस ने सीमा पर ही रोक दिया। जिस पर किसान दिल्ली की सीमाओं पर ही धरना देने बैठ गए जो अब तक जारी है।

11 दौर की वार्ता भी विफल : पंजाब में आंदोलन कर रहे किसानों को केंद्र ने पहली बार 14 अक्तूबर को वार्ता के लिए बुलाया पर कृषि मंत्री के मौजूद न होने से किसान बैठक से उठ गए थे। इसके बाद 22 जनवरी, 2021 को अंतिम बार बैठक हुई। जिसके बाद सरकार ने अगली बैठक की तारीख नहीं दी।

2 मांगे मानी सरकार ने : पिछले साल दस दिसंबर को केंद्र सरकार ने किसानों की प्रमुख मांगों में से दो मांगें मान ली थीं। हालांकि किसान नया कानून पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।

18 माह तक कानून निलंबन : 21 जनवरी को सरकार ने किसान नेताओं को अस्थायी रूप से कानून निलंबन का प्रस्ताव देकर कहा कि वे समिति बनाकर कानून को बेहतर बनाने पर काम करेंगे पर किसान राजी नहीं हुए।

दूसरा पड़ाव : ट्रैक्टर से टि्वटर तक मोर्चा

– 30 नवंबर को ‘ट्रैक्टर टू टि्वटर’ सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया ताकि ऑनलाइन आंदोलन को बढ़ाया जा सके।
– 18 दिसंबर को किसानों के लिए साप्ताहिक अखबार ‘ट्रॉली टाइम्स’ निकालना शुरू किया गया ताकि वे दुष्प्रचार का जवाब दे सके।
– 15 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर 400 पिज्जा का लंगर चला, धरनास्थल पर किसानों के लिए मॉल भी खोला गया जो चर्चा में रहा।

तीसरा पड़ाव : अदालत में भी नहीं बनी बात

– 12 जनवरी को सर्वोच्च अदालत ने कृषि कानूनों पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी।
– 04 सदस्यों की समिति बनाने का भी उच्चतम न्यायालय ने निर्णय लिया पर किसान सहमत नहीं।
– 26 जनवरी की ट्रैक्टर ट्रॉली रोकने वाली याचिका को भी उच्चतम अदालत ने खारिज कर दिया था।
– 03 फरवरी को सर्वोच्च अदालत ने 26 जनवरी की हिंसा के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया।

चौथा पड़ाव : उपद्रव में बदली ट्रैक्टर रैली

– 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने लाल किले पर कब्जा करके धर्म विशेष का झंडा फहरा दिया।
– 01 प्रदर्शनकारी किसान की इस दिन के उपद्रव में मौत हुई, जिसकी मौत के कारणों को लेकर राजनीति जारी है।
– 37 किसान नेताओं को नामजद करके देशद्रोह व अन्य धाराओं में मामले दर्ज किए गए, दीप सिद्धु पर इनाम घोषित।
– 02 किसान संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग किया, बड़ी संख्या में किसान पंजाब व अन्य इलाकों को लौटने लगे।
– 18 महीने तक कानूनों को स्थगित रखने के प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर कहा कि वे इस पर कायम हैं।

पांचवा पड़ाव : टिकैत के आंसू और ट्रैक्टरों का सैलाब

29 जनवरी : आंदोलन वापसी के दबाव के बीच राकेश टिकैट ने भावुक भाषण दिया। बोले- ऐसा हुआ तो वे आत्महत्या कर लेंगे पर कानून वापसी तक नहीं हटेंगे।
30 जनवरी : टिकैत के आंसुओं ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी और रातों-रात बड़ी संख्या में ट्रैक्टर से किसान गाजीपुर बॉर्डर पर जुटने लगे।
01 फरवरी : टिकरी बॉर्डर की जगह अब गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन का केंद्र बन गया। टिकैत को समर्थन देने मनीष सिसौदिया से लेकर संजय राउत तक पहुंचे।
06 फरवरी : देशभर में चक्का जाम के बाद टिकैत ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहेगा, हमने सरकार को दो अक्तूबर तक कानून वापसी का समय दे दिया है।

छठा पड़ाव : राजधानी की किलेबंदी

– 03 मुख्य प्रदर्शन स्थलों पर दिल्ली पुलिस ने कंक्रीट से बैरिकेडिंग की और सड़के पर कीलें गाड़ दीं ताकि ट्रैक्टर दिल्ली में न घुस सकें।
– 05 परतों में सिंघु सीमा पर बैरिकेड लगाए गए हैं, कीलों से की गई बैरिकेडिंग को लेकर विपक्षी राजनेताओं ने सरकार से प्रश्न भी किए।
– 26 जनवरी के बाद से टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाएं बार-बार बाधित की गईं, बिजली-पानी की सेवाएं भी बाधित हैं।
– 190 से ज्यादा किसानों की इस आंदोलन के दौरान मौत हो चुकी है अब तक, संयुक्त किसान मोर्चो के अनुसार।

सातवां पड़ाव : वैश्विक हस्तियों के ट्वीट ने दिया मोड़

04 फरवरी को ग्रैमी पुरस्कार विजेता पॉप गायिका रेहाना ने कई हस्तियों को टैग करके भारतीय किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ट्वीट किया। पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी समर्थन में ट्वीट किया, जिसमें एक तथाकथित रूप से एक टूलकिट थी, इसकी जांच के लिए एफआईआर दर्ज कर ली गई। कई अन्य बड़ी अंतरराष्ट्रीय हस्तियां जैसे कमला हैरिस की भतीजी और भांजी ने समर्थन में ट्वीट किया। हालांकि इसके खिलाफ अभिनेत्री कंगना रनौत व अन्य ने टिप्पणियां कीं। गृहमंत्रालय ने भी बयान जारी करके इसे देश का आंतरिक मामला बताया।

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